सद्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज

भक्त इस एक प्रभु की चिन्ता (सोच-विचार) करते हैं, किसी ओर की चिन्ता नहीं रखते। इस ईश्वर प्रभु-परमात्मा, इस निराकार को ही कर्ता मानकर, सब कुछ इसी को ही मानकर, जिस-जिस ने भी जीवन व्यतीत किया है, वही सुखी हो गया है, वही आनन्दित हो गया है 



सद्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज