अंगदान करने वालों के साहस को प्रणाम करता हूं : डॉ. हर्ष वर्धन

डॉ. हर्ष वर्धन ने किया एम्स में आयोजित समारोह में अंगदाताओं को सम्मानित


नई दिल्ली,  आर्गन रेट्रिवल बैंकिंग आर्गनाइजेशन द्वारा आयोजित अंगदाता सम्मान समारोह को संबोधित करते हुए केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि अंगदान करना एक कठिन लेकिन साहसपूर्ण निर्णय है इसे शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता लेकिन यह इश्वरीय कार्य के रूप में याद किया जाता है। उन्होंने इसे ईश्वरीय प्रेरणा से किया गया दान बताया और कहा कि इस कार्य से कई लोगों को नया जीवन मिलता है। 


उन्होंने कहा, 'मैं अंगदान करने वालों के साहस को प्रणाम करता हूं। अंगदान करने वाले जब यह निर्णय लेते हैं तो उनके परिवार और प्रियजनों को भावनात्मक रूप से कुछ कष्ट होता होगा मगर जब किसी को जीवनदान मिलता है तो उन्हें अच्छा लगता है''। उन्होंने कहा कि इस कार्य को व्यापक बनाने की जरूरत है क्योंकि लोगों की जान बचाने के लिए अंगों की बहुत अधित आवश्यकता है। लेकिन अंग दान अभी पर्याप्त संख्या में नहीं किया जा रहा। इस अवसर पर खेल और युवा मामालों के मंत्री किरेन रिजीजु, राज्यसभा सांसद एमसी मैरीकॉम और प्रख्यात गायक मोहित चौहान उपस्थित थे।



डॉ. हर्ष वर्धन ने सम्मान समारोह को दिलों को छूने वाला आयोजन बताया और कहा, 'मुझे याद नहीं कि मैं दिलों को इतना छू जाने वाले किसी कार्यक्रम में कभी शामिल हुआ हूं। उन्होंने अंगदान करने वाले परिवारों के हिम्मत और जज्बे की सराहना की और अंगदान करने वालों को महान आत्मा बताते हुए कहा कि वे आज हम सब के बीच जीवित हैं। उन्होंने अपने इस निस्वार्थ कार्य से वो कर दिखाया है जो कई सरकारें नहीं कर सकती''। जिन लोगों ने अपने परिजनों के अंग दान किए हैं उन्होंने समाज और देश के लिए बहुत बड़ा योगदान किया है। उन्होंने न केवल अपनी सामाजिक जिम्मेदारी निभाई है। अपितु अंगदान करने के लिए लोगों को प्रेरित भी किया है। 


केन्द्रीय मंत्री ने कहा, 'एक अंग दाता 7 से 8 रोगियों को जीवनदान दे सकता है और 40 से 50 मरीजों की आयु और उनकी जीवन की गुणवत्ता बढ़ा सकता है। उन्होंने सुझाव दिया कि हमें मृत्यु के बाद अंगदान करने का संकल्प लेने के लिए व्यक्तियों, परिवारों और संगठनों को प्ररित करना होगा और अंगदान के महत्व के बारे में जागरूकता फैलानी होगी। केन्द्रीय मंत्री ने कहा, 'लोगों में अंग और टीशू दान को लेकर जागरूकता का अभाव और कुछ भय और शंकाएं भी हैं। 


उन्होंने कहा कि 1994 में दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री के कार्यकाल के दौरान दिल्ली में दधिचि देह समिति का गठन किया था। इसके कार्य का उद्घाटन नाना जी देशमुख ने किया था जिन्होंने उसी समारोह में अपना पूर्ण शरीर दान देने की घोषणा की थी। हम सबको नानाजी देशमुख की निस्वार्थ सेवाओं और अंगदान के बारे में उनके विचारों से प्रेरणा लेनी होगी। अगर अधिक से अधिक लोग अंगदान करें तो हम कह सकते हैं कि हमसे कोई प्रियजन बिछड़ेगा नहीं और समाज में सदैव हम सबके बीच रहेगा।


डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि कोई अपनी कॉर्निया दान करने वाला एक व्यक्ति चार लोगों को दृष्टि दे सकता है अब ऐसी तकनीक चिकित्सा में आ गई है। उन्होंने कहा कि त्वचा के टीशू भी अब जले मरीजों को मदद दे रहे हैं। दान की गई हड्डियां ट्यूमर, ट्रामा और संक्रमण से क्षतिग्रस्त हुई हड्डियों को दुरूस्त करने में काम आ रही है। इससे क्षतिग्रस्त अंगों को शरीर से अलग किया जाना रोका जा रहा है। केन्द्रीय मंत्री ने एक बालिका सुरभि के अंगदान का उल्लेख करते हुए कहा कि उसके 2014 में एक साथ कई लोगों को दान किए गए अंगों से नया जीवन मिला। इस बालिका की स्मृति और इसके साहसपूर्ण कार्य तथा सम्मान के लिए ओआरबीओ को एक पट्टिका लगानी चाहिए।



कुल मिला कर 51 अंगदाताओं को सम्मानित किया गया। समारोह में अंग प्राप्त करने वाले और नया जीवन जीने वाले लोगों ने विचार भी रखे। डॉ. हर्ष वर्धन ने भारत में पहला हृदय प्रत्यर्पण करने वाले समारोह में उपस्थित डॉ. वेणुगोपाल को इस क्षेत्र का अग्रणी बताया।


खेल और युवा मामलों के मंत्री किरेन रिजिजु ने कहा कि कई लोग अंग दान के बारे में सोचते हैं लेकिन कुछ ही ऐसा कर पाते हैं ऐसा करने वाले व्यक्ति अपनी जीवनलीला समाप्त होने के बाद भी जीवित रहते हैं। दानकर्ता परिवारों के प्रति सम्मान व्यक्त करते हुए इस मुद्दे पर जागरूकता फैलाने की आवश्यकता बताई ताकि ये हमारे देश में नियमित प्रक्रिया बन सके।


राज्यसभा सांसद और मुक्केबाजी में ओलम्पिक पदक विजेता एम.सी मैरीकॉम ने कहा कि वे अंगदान करने वाले परिवारों को सलाम करती हैं। जिन्होंने अंगदान देकर दूसरों को जीवन दान दिया है। उन्होंने लोगों से अंगदान के लिए आगे आने को कहा। मैरीकाम ने कहा कि मुझे भी इस क्षेत्र में कुछ करने की प्रेरणा मिल रही है।


डॉ. हर्ष वर्धन ने रिजिजु और श्रीमती मैरीकॉम के साथ मल्टी अंगदान करने वाले 38 परिवारों, चिकित्सा शिक्षा के लिए सम्पूर्ण शरीर दान करने वाले 5 परिवारों और हृदय घात से मृत्यु के बाद मल्टीपल टीशू दान करने वाले 8 परिवारों को सम्मानित किया। ओआरबीओ मृत्यु के बाद शरीर दान करने और टीशू प्रत्यर्पण की समूची प्रक्रिया में मदद देने वाली एम्स में नोडल एजेंसी है। यह अपने स्तर पर जागरूकता विकसित कर रही है। और टीशू दान और प्रत्यर्पण के क्षेत्र में प्रशिक्षण भी देती है। इस अवसर पर ट्रांसप्लांट टीम के तीन सदस्य, ब्रेन डेथ प्रमाणन समिति के सदस्य, एम्स के चिकित्सक, प्रत्यर्पण समन्वयक आदि उपस्थित थे।