सुभाष चोपड़ा और कीर्ति आजाद ने सोनिया गांधी से मुलाकात की

नई दिल्ली,दिल्ली सर्च की रिपोर्ट दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के नवनियुक्त अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा और प्रदेश इकाई के लिये चुनाव अभियान समिति के प्रमुख बनाये गये कीर्ति आजाद ने बृहस्पतिवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से शिष्टाचार भेंट की। आजाद ने सोशल मीडिया पर तस्वीर साझा कर यह जानकारी दी। सोनिया गांधी के अनुमोदन पर ही बुधवार को चोपड़ा और आजाद को दिल्ली में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर प्रदेश इकाई की जिम्मेदारी सौंपी गयी थी।


आजाद ने ट्वीट कर कहा, ''दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा के साथ कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया जी से मुलाकात कर उनसे आशीर्वाद लेकर उन्हें दिल्ली में कांग्रेस की सरकार बनाने के लिये विधानसभा की 70 सीटों पर चुनाव में एड़ी चोटी का जोर लगाने का वादा किया।'' 



दरअसल, कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अनुभव को वरीयता देते हुए 72 साल के सुभाष चोपड़ा को दिल्ली कांग्रेस की कमान सौंपी है। हालांकि 12 दिन पूर्व आलाकमान ने इस पद के लिए पूर्व क्रिकेटर कीर्ति आजाद के नाम पर हस्ताक्षर किए थे, लेकिन बाहरी होने के मुद्दे पर विरोध के चलते उनका पत्ता काट दिया गया।


यह बात अलग है कि कीर्ति को चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाकर आलाकमान ने पंजाबी समुदाय के साथ-साथ पूर्वांचल के मतदाताओं को भी साधने की कोशिश की है। इनकी नियुक्ति के साथ ही प्रदेश कांग्रेस के तीनों कार्यकारी अध्यक्ष हारून यूसुफ, देवेंद्र यादव व राजेश लिलोठिया भी अपने पद से हट गए हैं।


शीला दीक्षित के निधन के तीन माह बाद मिला दिल्ली कांग्रेस को अध्यक्ष : शीला दीक्षित के निधन के तीन माह तीन दिन बाद प्रदेश कांग्रेस को नया अध्यक्ष मिला है। 20 जुलाई को शीला का निधन हुआ था। सुभाष चोपड़ा छात्र राजनीति के समय से ही कांग्रेस से जुड़े हैं। राजनीति में उनका प्रवेश डूसू अध्यक्ष चुने जाने के साथ हुआ था। वह विधायक व विधान सभा अध्यक्ष भी रहे हैं।


प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद पर रहते हुए उन्होंने 2003 में नगर निगम चुनाव में कांग्रेस को जीत दिलाई थी। उनके पास संगठन चलाने का अच्छा अनुभव है। वहीं, कीर्ति आजाद भाजपा में रहे हैं और 1993 से 1998 तक गोल मार्केट से भाजपा विधायक रह चुके हैं। बिहार के दरभंगा से दो बार सांसद भी रहे हैं। फरवरी 2019 में उन्होंने कांग्रेस का दामन थामा था। कांग्रेस से धनबाद से लोक सभा चुनाव लड़ा था पर हार गए थे।