खुशियां हो या गम, आओ पेड़ लगाये हम


पर्यावरण संतुलन के लिए पौधरोपण बहुत ही जरूरी है। प्राकृतिक संसाधनों के अनियंत्रित दोहन व वृक्षों के अंधाधुंध कटान नहीं रुका तो मानव के अस्तित्व पर भी खतरा पड़ जाएगा। तेजी से दूषित हो रहे पर्यावरण को बचाने के लिए ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाए जाने की जरुरत है। पर्यावरण प्रदूषण आज मानव जाति के समक्ष एक गंभीर समस्या है, जिसका जल्द समाधान करना आवश्यक है। वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए अविलंब ठोस, प्रभावी और कारगार कदम उठाए जाने चाहिए।
'जातस्य हि ध्रुवो मृत्युर्ध्रुवं जन्म मृतस्य च, तस्मादपरिहार्येथे न त्वं शोचितुमर्हसि'। श्रीमद्भगवद्गीता के अध्याय 2 के श्लोक 27 का अर्थ है कि जिसने जन्म लिया है उसकी मृत्यु निश्चित है और मृत्यु के बाद पुनर्जन्म भी निश्चित है। अतः अपने अपरिहार्य कर्तव्यपालन में तुम्हें शोक नहीं करना चाहिए। मनुष्य का जीवन सुख व दुख का मिश्रण है। जीवन के दो ही पहलू हैं एक जन्म और दूसरा मरण जोकि मनुष्य जीवन के अभिन्न अंग माने जाते हैं। जिसका जन्म हुआ है, उसकी मृत्यु होना भी निश्चित ही है। इस सच को कोई नहीं बदल सकता इसका मतलब है कि जिसका जन्म हुआ है उसको एक न एक दिन अवश्य मरना है। यही कुदरत का नियम है।


पेड़-पौधे हमारे जीवन का आधार हैं क्योंकि पेड़ पौधों से हमें आक्सीजन मिलती है। आक्सीजन के बिना जीवन की कल्पना करना संभव नहीं है। वृक्ष के बगैर मानव जीवन का संसार में कोई अस्तित्व नहीं है। साफ शब्दों में कहा जा सकता है कि जीवन के लिए ऑक्सीजन जरूरी है। यदि ऑक्सीजन नहीं होगी, तो जीवन ही समाप्त हो जाएगा। इसलिए ऑक्सीजन को बचाने के लिए वृक्षों को बचाना जरूरी है। जीवन के संरक्षण के लिए पौधों का संरक्षण करना अनिवार्य है। पर्यावरण प्रदूषण रोकने के लिए सबसे बेहतर विकल्प पौधारोपण ही है। मानव जीवन सुरक्षित रहे इसके लिए प्रत्येक व्यक्ति को कम से कम एक पौधा अवश्य रोपित करना चाहिए और उस पौधे की नियमित देखभाल भी करनी चाहिए। 
प्राकृतिक संसाधनों के अनियंत्रित दोहन से न केवल पर्यावरणीय संतुलन बिगड़ रहा है बल्कि मानव सभ्यता के अस्तित्व पर भी खतरा मंडराने लगा है। वायुमंडल में जहां ऑक्सीजन की कमी होने लगी है वहीं दूसरी तरफ कार्बनडाइ ऑक्साइड की मात्रा बढ़ रही है। यदि हम सभी इस समय सचेत नहीं हुए तो वह दिन दूर नहीं जब हमें भयकर त्रासदी का सामना करना पड़ेगा इसीलिए ज्यादा से ज्यादा पौधे लगने से ही दूषित पर्यावरण को बचाया जा सकता है। 
खुशी के अवसर पर हमें बच्चों के जन्म दिन, विवाह, त्यौहार या अन्य खुशी के अवसर पर पेड़ लगाने चाहिए और अपने पर्यावरण को संरक्षित करना चाहिए। पेड़-पौधे आदिकाल से मनुष्य जीवन व भारतीय संस्कृति का अटूट हिस्सा रहे है। भारत में प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ चुका है। आज वातावरण इतना प्रदूषित होता जा रहा है कि आने वाले समय में सांस लेना भी दूभर हो जाएगा। वायुमण्डल को स्वच्छ व संतुलित रखने में वृक्षों की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता है। ऐसे में पेड़ लगाना हम सभी का फर्ज है, जिससे प्रदूषण के दुष्प्रभाव को कम किया जा सके।
दुःख की घड़ियों में भी अर्थात किसी भी व्यक्ति या महिला की मृत्यु होने पर मृतक की आत्मा की शांति के लिए पीपल तथा बरगद के पेड़ लगाने चाहिए। पीपल का पेड़ लगाने से व्यक्ति को सैंकड़ों यज्ञों के बराबर पुण्य की प्राप्ति होती है। देखिये, मेरे गाँव धारौली, जिला झज्जर में मृतक की आत्मा की शांति की कामना के लिए पीपल तथा बरगद पेड़ लगाने की अनोखी पहल-परम्परा है। पीपल तथा बरगद का वृक्ष हर समय ऑक्सीजन देता है। श्रीमदभगवत गीता के अध्याय 10, श्लोक 26 में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है- अश्वत्थ: सर्व वृक्षाणी, अर्थात वृक्षों में श्रेष्ठ पीपल है। पीपल के वृक्ष के विषय में भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में कहा है कि पीपल का वृक्ष ब्रह्म स्वरूप है। श्रीमद्भगवदगीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि 'अश्वत्थ: सर्ववृक्षाणाम, मूलतो ब्रहमरूपाय मध्यतो विष्णुरूपिणे, अग्रत: शिवरूपाय अश्वत्थाय नमो नम:' यानी मैं वृक्षों में पीपल हूं। पीपल के मूल में ब्रह्मा जी, मध्य में विष्णु जी व अग्र भाग में भगवान शिव जी साक्षात रूप से विराजित हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार पीपल एकमात्र ऐसा वृक्ष है जो 24 घंटे आक्सीजन ही छोड़ता है। हिंदू धर्म में पीपल वृक्ष का बहुत महत्व है। हिंदू धर्म में पीपल का वृक्ष प्रात: पूजनीय माना गया है। 
भारत में प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन से मानव जीवन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। अमेरिका, कनाडा, चीन और भारत के वैज्ञानिकों ने अपने शोध के नतीजे यहां अमेरिकन एसोसिएशन फॉर द एडवांसमेंट ऑफ साइंस (एएएएस) की वार्षिक बैठक में पेश किए। इसमें बताया गया कि वायु प्रदूषण की वजह से 2013 में चीन में 16 लाख और भारत में 14 लाख लोगों की मौत हुई।
पर्यावरण और जीवन दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। पर्यावरण में फैलता प्रदूषण विश्व की सबसे बड़ी समस्या बनती जा रही है। पर्यावरण प्रदूषण ने विश्व में आज लोगों का जीना दुश्वार कर दिया है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक, हर साल वायु प्रदूषण की वजह से दुनियाभर में लाखों लोगों की मौत होती है। यह बेहद चिंताजनक है कि हमारे देश में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए कोई दीर्घकालिक एवं समग्र नीतियों का अभाव ही दिखाई दे रहा है। मेरा (युद्धवीर सिंह लांबा धारौली, झज्जर) मानना है कि पर्यावरण को संरक्षित रखने में पेड़ पौधों का अहम योगदान होता है। 
वायु प्रदूषण को लेकर अमेरिका के हेल्थ इफेक्ट्स इंस्टीट्यूट की चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में वायु प्रदूषण स्वास्थ्य संबंधी सभी खतरों से होने वाली मौतों में तीसरा सबसे बड़ा कारण है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पूरी दुनिया में वायु प्रदूषण से जितने लोगों की मौत होती है, उसकी आधी संख्या भारत और चीन में है। भारत और चीन में 2017 में वायु प्रदूषण से क्रमश: 12-12 लाख लोगों की मौत हुई। 


भारत में जहरीली होती हवा को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट 'वायु प्रदूषण और बाल स्वास्थ्य' नामक रिपोर्ट में बताया गया है कि में पता चला है कि साल 2016 में भारत में पांच साल से कम उम्र के करीब एक लाख बच्चों की जहरीली हवा के प्रभाव में आने से मौत हुई है, मरने वाले बच्चों में लड़कियों की संख्या लड़कों से ज्यादा है। दुनिया के विभिन्न देशों में प्रदूषण को लेकर किए गए अध्ययन से पता चला है कि 2016 में भारत नेपाल के बाद ऐसा दूसरा देश है जहां पीएम 2.5 स्तर अधिक मापा गया है। इससे भारत के लोगों के जीवन स्तर में 4.4 साल की कमी आई है। यानी लोगों का जीवन 4.4 साल तक कम हुआ है।
खुशियां हो या गम, आओ एक एक पौधा जरूर लगाए हम ताकि हम अपने आने वाले कल को सुनहरा बना सके। प्रदूषण को कम करने का एक मात्र समाधान पेड़ पौधे ही हैं। पर्यावरण को लेकर गंभीरता नहीं बरती गई तो पूरी मानवजाति के लिए भविष्य अंधकारमय होगा। पेड़ लगाना जरूरी है, ताकि हम वातावरण को स्वच्छ रख सके, जिससे पर्यावरण का संतुलन बना रहे। पौधे तो मनुष्य के बिना रह सकता है लेकिन पेड़-पौधों के बिना मनुष्य का जीवन संभव नहीं है। 


                      -युद्धवीर सिंह लांबा-


(लेखक अकिडो कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, बहादुरगढ़ जिला झज्जर, हरियाणा में रजिस्ट्रार के पद पर कार्यरत है।)