संत जन भक्ति के रंग में रंगकर समर्पित भाव से निराकार दातार की बंदगी करते चले जाते हैं भक्ति के तहत उन्हें ऐसी लगन प्राप्त होती है जिसके कारण उनके कदम सत्संग की ओर बढ़ने लगते हैं प्रभु के प्रति उनके विश्वास को सत्संग में परिपक्वता मिलती है और जो ध्यान अक्सर प्रभु को भूलकर संसार में खचित हो जाता है, वह संतों का संग करने से वापिस लौट आता है वह सत्संग को महत्ता देते हैं ताकि उनकी मनोवृत्ति प्रभु के साथ हर पल जुड़ी रहे, विचार उत्तम बने रहें। और दूसरों का कल्याण करने का जज्बा बना रहे।
सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज
सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज