क्यों नहीं सिरे चढ़ रहा कांग्रेस और 'आप 'का गठजोड़


चंडीगढ़, आखिरकार पंजाब के जिद्द के चलते कांग्रेस और आम आदमी पार्टी में होने वाला गठजोड़ पानी में बह गया। आम आदमी पार्टी की दलील थे कि दिल्ली में वो मुर्दा पड़ी कांग्रेस में जान फूंकने को गठजोड़ कर रही है तो कांग्रेस पंजाब में उसका साथ क्यों नहीं दे सकती। दिलचस्प बात ये भी है कि कांग्रेस हाई कमान ने हरियाणा कांग्रेस को तो मना लिया था , परन्तु पंजाब कांग्रेस इस गठजोड़ को पंजाब में लागु करने के लिए बिलकुल राजी नहीं हुए। एक बार तो दोनों दलों का दिल्ली में भी होने वाला गठजोड़ भी टल गया है। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच गठजोड़ की बात करीब डेढ़ माह से चल रही थी। कांग्रेस चाहती थी कि जहाँ पर वह कमजोर है , वही पर आप उसको समर्थन दे , परन्तु कांग्रेस हरियाणा और पंजाब में आम आदमी पार्टी को कोई मदद देने के इरादे में नहीं थी। '' आप '' के नेताओं दिल्ली के अतिरिक्त हरियाणा , पंजाब व् गोवा में कांग्रेस से गठजोड़ की बात चलायी थी। विभिन्न सर्वेक्षणों में कांग्रेस की दिल्ली में हालत पतली बताई जा रही थी और भाजपा व् आम आदमी पार्टी की स्थिति बेहतर बताई जा रही थी। पंजाब में भी कांग्रेस की स्थिति अच्छी है , इस लिए पंजाब के नेता अड़ गए कि वे तो राज्य में अकेले ही चुनाव लड़ेंगे , इसी लिए दो विवादस्पद सीटों बठिंडा और फ़िरोज़पुर को छोड़ कर कांग्रेस ने शेष 11 लोक सभा सीटों पर उम्मीदवारों के पैनलों पर हाई कमान से चर्चा जारी रखी। हालांकि 4-5 टुकड़ों में बंटी हरियाणा कांग्रेस ने भी पार्टी हाई कमान से अकेले ही राज्य की 10 लोक सभा सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कही थी , परन्तु सूत्र बताते है कि पार्टी हाई कमान ने हरियाणा के नेताओं को इस बात के लिए मना लिया था कि '' आप '' के साथ हरियाणा में गठजोड़ कर लिया जाये। परन्तु आम आदमी पार्टी इस आधे अधूरे गठजोड़ के लिए राज़ी नहीं हुई। जबकि कांग्रेस अभी भी '' आप '' से सिर्फ दिल्ली के लिए गठजोड़ की बात ही कर रही है और साथ में ये भी कह रही है कि ''आप '' की जिद्द ने उसे दिल्ली में भी अकेले ही चुनाव लड़ने के लिए मजबूर किया है। जानकारी अनुसार , कांग्रेस ने दिल्ली के लिए सभी 7 नामों को अंतिम रूप दे दिया है और एक-दो दिन में दिल्ली की सभी सातों सीटों पर उम्मीदवारों के नामो का ऐलान कर दिया जायेगा।