चुनावी घोषणा पत्र


अगली लोकसभा के लिए सदस्यों के चुनाव का काम जारी है , चुनावों के बाद सरकार या तो कांग्रेस नीत गठबंधन की बनेगी या फिर वर्तमान गठबंधन सरकार ही सरकार चलाएगी. एक तीसरा विकल्प ये हो सकता है की ये दोनों प्रमुख दल सत्ता के लिए एक सरकार को बाहर से समर्थन दे. बहरहाल दो बड़ी पार्टियों के मेनिफेस्टो ही देश की अगली सरकार के लिए दिशा निर्देश तय करेंगे. दोनों बड़ी पार्टियों के चुनावी घोषणा पत्र आ गये हैं. उन पर एक विहंगम दृष्टि डाल कर देश की भावी दशा और दिशा पर विचार किया जा सकता है.


कांग्रेस  का चुनावी घोषणापत्र पहले आया है इसलिए इसी पर पहले विचारे. चुनावी घोषणापत्र समिति के लेखक चिदम्बरम साहब स्वयं लेखक भी है. लेकिन इस मसौदे पर अमर्त्य सेन के विचारों की छाप है. उनकी अपनी अर्थशास्त्रीय थ्योरी है जिसे वे देश के लिए जरूरी मानते हैं . घोषणापत्र में इंदिराजी के नारे –गरीबी हटाओ को नए सिरे से परिभाषित करने का प्रयास है. कही कही नेहरुजी के समाजवादी मॉडल का भी सहारा लिया गया है. कांग्रेस ने हम निबाहेंगे- वी विल डेलिवर के नाम से घोषणापत्र जारी किया है . सबसे महत्वपूर्ण बिंदु है शिक्षा पर जी डी पी का 6 प्रतिशत खर्चा. किसानों के लिए अलग बजट , खाली पड़े पदों को भरने के लिए ३१ मार्च २०२० की डेड लाइन दी गयी है. कांग्रेस न्यूनतम आय गारंटी भी देती है गरीबों के खाते में ७२००० रूपये प्रति वर्ष डाले जायेंगे. कांग्रेस ने इसका नाम न्याय योजना रखा है . घोषणापत्र का कवर सोनियाजी को पसंद नहीं आया , राहुल के छोटे फोटो से भी वे असहज दिखी. लेकिन कंटेंट्स की तारीफ की. मोदीजी ने इसे झूठ का पुलिंदा ढकोसला पत्र बताया . राहुल ने नया नारा दिया-गरीबी पर वार ७२ हज़ार . राहुल गांधी ने कहा कि देश में 22 लाख सरकारी पद ख़ाली पड़े हैं और कांग्रेस उन्हें जल्द से जल्द भरने की कोशिश करेगी. यह घोषणापत्र स्वास्थ्य व् सामाजिक न्याय की बात करता है. कांग्रेस अफपसा को हटाने की बात करती है . कांग्रेस ने युवाओं , किसानों मजदूरों को मुख्य धारा से जोड़ने का प्रयास किया है. कांग्रेस ने चुनाव में धनबल पर भी अंकुश लगाने की बात कही है. स्वास्थ्य पर खर्च बढ़ाया जायगा, सरकारी अस्पतालों की स्थिति में सुधार किया जायगा. कांग्रेस राज द्रोह की धारा से भी मुक्त करने की बात करती है, अभिव्यक्ति की आज़ादी की भी तरफदारी करती है लेकिन यह सब सरकार में आने के बाद किसे याद रहेंगे ?


यदि २२ लाख जॉब्स मिलते हैं तो अच्छी बात है लेकिन कहीं यह खर्च जनता पर अनावश्यक बोझ न बन जाये, इस और भी ध्यान दिया जाना चाहिए. . धारा ३७० पर भी कांग्रेस ने अपना रुख साफ किया है. राज द्रोह की धारा को भी ख़तम किया जायगा. राजद्रोह व् राष्ट्र- द्रोह याने देश द्रोह के फर्क को समझा जाना चाहिए.


कांग्रेस गरीब व् गरीबों के प्रति अपनी लड़ाई जारी रखने की बात करती है. आम आदमी व किसानों को अपने पक्ष में करने के लिए कांग्रेस कर्ज माफ़ी की बात करती है , यह एक सपोर्ट है जो किसान को मिलना चाहिए यह सलूशन नहीं हैं कांग्रेस इसे मानती भी है. २५ करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकलने का कांग्रेस का वादा सही दिशा में एक कदम होगा. पर्यावरण की भी चर्चा है. महिलाओं को तैंतीस प्रतिशत आरक्षण की बात कही है. रक्षा, आंतरिक सुरक्षा पर पूरा ध्यान देने की बात भी की है. साहित्य संस्कृति कला पर भी दो पैरा लिखे गए हैं , जिनका स्वागत किया जाना चाहिए. यहाँ विचार है और राहुल उसे पूरा करने की नियत के साथ आगे बढ़ते दीखते हैं वे बीजेपी का इंतजार नहीं करते . वे अपने अजेंडा पर चलना चाहते हैं. कांग्रेस नगरों का मेयर खुद चुनने की बात भी करती है जो एक दूरगामी कदम साबित होगा. ऐसा पिछली कांग्रेस सरकार ने राजस्थान में किया भी था. पार्टी युवा, महिला, अल्पसंख्यक, दलित, आदिवासी , गरीब आम आदमी , किसान, मीडिया , बौद्धिक संपदा आदि समूहों पर ध्यान देने की बात करती है. विचारधाराओं के टकराव के साथ साथ व्यक्ति व्यक्ति से भी टकराएगा, और यही पर चुनावी वादों को परखा जायगा. वादे कब जुमले बन जाते हैं पता ही नहीं चलता. गठबंधन सरकारों के घटक दल कोमन मिनिमम प्रोग्राम से सरकारें चलाते हैं.


विचारों की यह टकराहट कटुता को जन्म देती हैं मगर अच्छी बात ये है की चुनाव ख़त्म बातें ख़त्म. कांग्रेस के पास अच्छे वक्ता नहीं है, पैसे की भी कमी है आई टी सेल कमज़ोर है और सबसे बड़ी बात केडर बेस्ड पार्टी नहीं है वो अपनी अच्छी बात भी निचले स्तर नहीं पहुंचा पाती, दूसरी और भाजपा एक केडर बेस्ड पार्टी है और सबसे निचले स्तर के कार्यकर्त्ता तक सीधी पहुंचती है. भाजपा का आईटी सेल बहुत मज़बूत है. वैसे हर पार्टी को पार्टी वाले ही हराते हैं. नोट बंदी और जी एस टी का जिन्न भी बार बार बोतल से निकल कर आ जाता है.


आइये भाजपा जो इस समय सत्ता में हैं अपने घोषणापत्र में क्या कहती है?


सत्ताधारी दल तो अपनी नीतियों को ही दोहराता हैं या फिर आंकडे पेश करता है. सत्ता में बने रहने के लिए पूरी कोशिश की जानी चाहिए. पिछली बार घोषणापत्र चुनाव से एक दिन पहले आया था . इस बार 8 अप्रैल सोमवार को आया, पार्टी ने घोषणापत्र का नाम संकल्प पत्र रखा है याने पार्टी यदि सत्ता में आती है तो अपने संकल्पों को पूरा करेगी. घोषणापत्र राजनाथ सिंह जी ने बनाया है.


भाजपा ने अपने घोषणापत्र को संकल्प –पत्र कहा है , कवर पर केवल मोदी जी का चित्र है, कांग्रेस ने इसे झांसा पत्र कहा है. पार्टी ने ७५ संकल्प तय किये हैं . किसानों को ब्याज मुक्त ऋण दिया जायगा. राम मंदिर का हल संविधान के दायरे में ढूंढा जायगा. राष्टवाद पर जोर दिया गया है. गाय का कोई जिक्र नहीं है. कश्मीर निति पर पार्टी अपने पुराने रुख पर कायम है. किसानों की आय को २०२२ तक दोगुना करने का वादा है. छोटे किसानों को पेंशन दी जायगी ऐसा वादा पार्टी करती है. युवाओं को नए रोज़गार दिए जाने के लिए योजनायें बनाई जायगी. महिलाओं को आगे लाने केलिए ३३ प्रतिशत आरक्षण दिया जाने बात पार्टी करती है. व्यापारियों के लिए एक आयोग बनाने की भी मंशा पार्टी ने जाहिर की है. पार्टी के कवर या बेक कवर पर आडवानी, मुरलीमनोहर जोशी जैसे नेताओं के चित्र नहीं है. राष्ट्रवाद , अन्त्योदय व् सुशासन के नारे के साथ पार्टी चुनाव में जा रही है, मोदी है तो मुमकिन है भी एक अन्य नारा है. पार्टी सीधे नौकरी की बात नहीं करती रोज़गार के लिए कोई खास बात भी पार्टी नहीं करती, पार्टी मजदूरों व् आम गरीब के लिए कोई ठोस योजना नहीं बताती. नए कालेज , संस्थान खोले जायेंगे, मगर बजट की कोई बात नहीं, बीमे से इलाज होगा मगर क्या एसा हो पायगा?आतंकवाद व् सुरक्षा पर काफी विचार है यह एक आवश्यक बिंदु है. पार्टी शिक्षा पर खर्च को बढाने की भी बात नहीं करती. साहित्य कला संस्कृति पर भी कोई बात नहीं की गयी है. जल शक्ति मंत्रालय बनाया जायगा, लेकिन गंगा मंत्रालय से क्या फायदा हुआ? पार्टी समावेशी विकास की बात करती हैं पार्टी योग, भारतीय संस्कृति के लिए भी काम करेगी. पार्टी किन्नरों के लिए भी योजना लाएगी. हर घर तक नल से पानी पहुंचने की भी बात है. पार्टी एक नए और सशक्त भारत की बात करती है. स्वास्थ्य में भी सरकार प्रति ११०० लोगों पर एक डाक्टर की योजना पर काम करने का वादा करती है. पार्टी नोट बंदी, जी एस टी , काले धन पर कोई बात नहीं करती . पार्टी विदेशी छात्रों को भारत में पढ़ने को प्रेरित करने का वादा करती है, छोटे दुकानदारों को भी पेंशन देने का वादा है.


दोनों बड़ी पार्टियाँ ही अगले पांच साल तक चलने वाली सरकार का रास्ता तय करेगी. सत्ता धारी दल आत्म विश्वास के साथ मैदान में है , उसके पास केडर है जो हर बात को सही जगह पहुंचा सकती हैं . वक्ता है और सत्ता है, दूसरी तरफ कांग्रेस है जो धीरे धीरे अपने पांव जमा रही है, क्षेत्रीय दल है जो अपने शर्तों पर समर्थन देते या लेते हैं यही प्रजातंत्र का असली रूप है. घोषणाओं को ज्यादा तवज्जो न दे . ये तो सब ऐसे ही चलता है.


अन्य क्षेत्रीय पार्टियों के भी घोषणापत्र आये हैं वे अपने क्षेत्र तक सीमित होते हैं लेकिन गठबंधन की स्थिति में महत्त्वपूर्ण रोल अदा करते हैं , लेकिन ये पार्टियाँ अपने क्षेत्र के विकास या विशेष राज्य का दर्जा ही मांगती हैं मुख्य पार्टी इस और ज्यादा ध्यान नहीं देती. समाजवादी पार्टी ने अपने घोषणापत्र में कहा है की अमीर और ज्यादा अमीर और गरीब और ज्यादा गरीब हो गया है , इस खाई को पाटने की जरूरत है. वे लोग राम मनोहर लोहिया को याद करते हैं मगर वे अपने दम पर दिल्ली में सरकार नहीं बना सकते. मुलायम सिंह ने तो लोकसभा के अंतिम सत्र में इस बात को स्वीकार भी कर लिया था. अन्य दलों के घोषणा पत्र ऐसा कुछ नहीं कहते की देश को किस दिशा में ले जाया जाना चाहिए. चुनाव धन बल से ही जीते जायेंगे. ममताजी व् कांग्रेस ने सत्ता में आने पर नोटबंदी की जाँच की बात की है. अन्य दल व निर्दलीय तक अपने घोषणापत्र देते हैं मगर कोई मायने नहीं रखते. एक ही बात की वोट जरूर दे, प्रजा तंत्र को बनाये रखना हम सब की जिम्मेदारी है. इन वादों को सब भूल जायेंगे जो आयेंगे वे भी और जो जायेंगे वे भी.