भाजपा दिल्ली की सभी सातों सीटों पर वेट एंड वॉच की मुद्रा में है


नई दिल्ली, पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक के बाद राष्ट्रवाद के बूते भाजपा दिल्ली में सातों सीटों पर जीत हासिल करने का दावा भले ही करती रही है। लेकिन पार्टी की ओर से प्रत्याशियों के नाम घोषित करने में अब तक असमंजस बना हुआ है। यह स्थिति तब है जब 2014 के चुनाव में भाजपा का वोट प्रतिशत 46 फीसदी से अधिक था और आप व कांग्रेस दोनों का वोट प्रतिशत भाजपा से काफी पीछे था। भाजपा अब भी दावा कर रही है कि वह दिल्ली में आप व कांग्रेस के गठबंधन है भाजपा होने की स्थिति में भी मजबूत रूप से चुनाव लड़ेगी और फिर से सातों सीटों पर विजयी होगी। लेकिन इन सब दावों से इतर पार्टी में लगातार सातों सीटों पर किसे प्रत्याशी घोषित किया जाए, इसे लेकर मंथन जारी है। कभी स्टार प्रत्याशी को उतारने की चर्चा सामने आती है तो कभी पुराने सभी प्रत्याशियों को ही फिर से टिकट देने की बात होती है। उम्मीदवारों के नाम घोषित करने के लिए बैठक भी बुलाई गई, लेकिन बैठक होने से पहले ही बता दिया कि सूची सही नहीं बनाई है। यदि मान भी लिया जाए कि सूची में आला कमान के हिसाब से कुछ नाम रह गएथे, तब भी शेष सीटों पर प्रत्याशियों के नाम का ऐलान किया जा सकता था। बहरहाल एक बार फिर से भाजपा सभी सातों सीटों पर वेट एंड वॉच की मुद्रा में है पार्टी सूत्रों के प्रक्रिया में प्रत्याशियों के नाम पर अंतिम राय बनाने में जुटी है इसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री अशोक प्रधान से लेकर मौजूदा सभी सांसदों के नाम शामिल हैं तो क्रिकेटर गौतम गंभीर, मंत्री हरदीप सिंह पुरी, अधिवक्ता मोनिका अरोड़ा, पूर्व सांसद अनिता आर्य, कमलजीत सहरावत, महामंत्री राजेश भाटिया, कुलजीत सिंह चहल, पूर्व आईपीएस दीपक मिश्रा, विधायक विजेंद्र गुप्ता, ओपी शर्मा व महंत नवल किशोर तथा जयभगवान तक के नाम भी चर्चा में मुताबिक यह भी संभव है कि दिल्ली में प्रत्याशियों के रूप में लोगों को भाजपा की और से चौंकाने वाले नाम सुनने को मिलें पार्टी की ओर से प्रत्याशियों के नाम घोषित करने में हो रही देरी की मुख्य वजह है कि अब तक आप व कांग्रेस के बीच गठबंधन की बात समाप्त नहीं हुई है और कांग्रेस के प्रत्याशियों के नाम का ऐलान होना अभी बाकी है। माना जा रहा है कि भाजपा वेट एंड वॉच की मुद्रा में है और दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन होने का इंतजार कर रही है। ताकि प्रत्याशियों के नाम भी उसी आधार पर घोषित हो सकें चर्चा है कि रामनवमी पर भाजपा अपने प्रत्याशियों का नाम घोषित कर सकती है। लेकिन यह उसी सूरत में होगा, जबकि कांग्रेस व आप के बीच या तो गठबंधन की संभावनाएं पूरी तरह से समाप्त हो जाएं या फिर प्रत्याशियों का यह दोनों पार्टियां संयुक्त रूप से ऐलान कर दे