बायोमेडिकल कचरे के निस्तारण को लेकर डीपीसीसी का रुख सख्त, क्लिनिक नर्सिंग होम हो सकते है सील


नई दिल्ली : दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने अब बायोमेडिकल कचरे के निस्तारण को लेकर सख्त रुख अख्तियार किया है। इसी के मद्देनजर निजी अस्पतालों, नर्सिग होम और क्लीनिकों को कारण बताओ नोटिस भेजा जा रहा है।
इन चिकित्सा संस्थानों से निकलने वाला बायोमेडिकल कचरा स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक होता है। इसमें ऐसे जीवाणु हो सकते हैं, जिनसे बीमारियों के फैलने का खतरा रहता है। कचरे में ऐसे सर्जिकल उपकरण भी होते हैं, जिनसे कोई घायल भी हो सकता है। दवाइयों के ऊपरी खोल जिन चीजों से बनते हैं, उन्हें जलाने से भी मना किया जाता है क्योंकि इनके जलने से हानिकारक गैसों का उत्सर्जन होता है। इसे देखते हुए डीपीसीसी ने अस्पतालों, नर्सिग होम और क्लीनिकों को बायोमेडिकल कचरे के सही निस्तारण के लिए निर्देश दिए हैं।


समिति के पास इस तरह की सूचनाएं आ रही हैं कि बायोमेडिकल कचरे का सही निस्तारण नहीं किया जा रहा है। संस्थान को इसे एकत्र करने, पृथक्करण (सेग्रीगेट), जमा करने, शोधित और निस्तारण करने की जिम्मेदारी उठानी होती है। बायोमेडिकल कचरा जमा करने के लिए कंपनी भी बनाई गई है, जो निर्धारित शुल्क लेकर इसे निस्तारित करती है। डीपीसीसी सूत्रों की मानें तो इसके बावजूद कई संस्थान इस कचरे का सही निस्तारण नहीं कर रहे हैं। समिति ने ऐसे संस्थानों की सूची तैयार कर ली है। पहले चरण में इन संस्थानों को कारण बताओ नोटिस भेजा जा रहा है। संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। ऐसे चिकित्सा संस्थानों को सील भी किया जा सकता है।