श्रीराजमाता मंदिर में फूलों व भजन से होली मिलन


नई दिल्ली, आधुनिकता व दिखावे के बीच त्यौहार अपना स्वरूप छोड़ते जा रहे है संस्कृति, सभ्यता को जीवित रखने के लिए हमे परंपराओं को याद रखना चाहिए इन विचारों को व्यक्त करते हुए स्वामी राजेश्वरानंद महाराज ने प्राकृतिक फूलों, चंदन व इत्र आदि के साथ शाहदरा गोरखपार्क स्थित श्रीराजमाता झंडेवाला मंदिर में होली महोत्सव मनाया।


संस्थान के सहप्रबन्धक राम वोहरा ने बताया कि होली के रंग-सन्तो के संग कार्यक्रम के अंतर्गत स्वामी राजेश्वरानंद महाराज के पावन सान्निध्य में होली महोत्सव मनाया गया। होली महोत्सव को आधुनिकता, फूहड़ता से दूर रखते हुए पूर्णतः प्राकृतिक फूलों, चंदन व इत्र के साथ साथ खुशबूदार गुलाल भक्तजनों ने एक दूसरे पर लगाकर प्रसन्नता व्यक्त की। सर्वप्रथम स्वामी राजेश्वरानंद महाराज द्वारा सद्गुरु श्रीराजमाता महाराज व देवी देवताओं की मूर्तियों पर पुष्प वर्षा के साथ इत्र छिड़ककर महोत्सव प्रारम्भ किया गया। भक्तजनों ने स्वामी के मस्तक पर तिलक लगाकर आशीर्वाद प्राप्त किया। जागरण पंथ के बाबा घमंडी भगत दुर्गा सेवा संघ के सदस्यों ने महन्त राजू बंजारा के नेतृत्व में परंपरागत तरीके से छेणो के साथ होली के भजनों का गुणगान किया।प्रसिद्ध सूफी गायक सन्नी भोला भजन गायक वैष्णवी शिशवाल, नरेन्द्र चन्दर के भजनों पर पुष्पवर्षा के बीच भक्तजन नाचते झूमते रहे।


इस अवसर पर साध संगत को सम्बोधित करते हुए स्वामी राजेश्वरानंद महाराज ने कहा कि रसायनिक रंगों, हुड़दंग व व्यसनों के चलते होली जैसे महान त्यौहार अपने मूल स्वरूप से पिछड़ते व बिछड़ते जा रहे है। रासायनिक रंगों की जगह प्राकृतिक फूलों से निर्मित रंगों से केवल होली का महत्व नहीं बढ़ेगा बल्कि त्वचा की रक्षा के साथ साथ खूबसूरती व रौनक भी बढ़ती जाएगी। होली के त्यौहार से धार्मिक, आध्यात्मिक, समाजिक, वैज्ञानिक दृष्टिकोण मिलता हैं। स्वामी राजेश्वरानंद ने कहा कि मुझे सबसे अधिक प्रसन्नता इस बात की है कि आज के होली महोत्सव में ब्राह्मण, बाल्मीकि, वैश्य, पंजाबी आदि सभी प्रेमिओ ने बिना किसी भेदभाव के मिलकर एक दूसरे के साथ मिलकर त्यौहार मनाया।महन्त रवि नागपाल ने आशीर्वचन दिया। होली महोत्सव के बाद संस्थान की ओर से भण्डारे की सुन्दर व्यवस्था की गई थी।