शिवरात्रि पर क्या करे :आचार्या शालिनी मल्होत्रा


महाशिवरात्रि 4 march 2019, सोमवार सर्वार्थ सिद्धि योग, त्रयोदशी शाम 4:29 तक तत्पश्यात फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी का शुभारम्भ।


निशीथकाल पूजा मुहूर्त Nishita Kaal Puja Time = 24:08 to 24:57
Duration = 0 Hours 49 Mins
On 5th, Maha Shivaratri Parana Time = 06:46 to 15:26


रात्रिके समय भूत, प्रेत, पिशाच, शक्तियाँ और स्वयं शिवजी भ्रमण करते हैं; अतः उस समय इनका पूजन करने से मनुष्य के पाप दूर हो जाते है । रात के चार प्रहरों में से जो बीच के दो प्रहर हैं, उन्हें निशीथ काल कहा गया हैं | विशेषत: उसी कालमें की हुई भगवान शिव की पूजा अभीष्ट फल को देनेवाली होती है – ऐसा जानकर कर्म करनेवाला मनुष्य यथोक्त फलका भागी होता है |


चतुर्दशी तिथि के स्वामी शिव हैं। अत: ज्योतिष शास्त्रों में इसे परम कल्याणकारी कहा गया है। वैसे तो शिवरात्रि हर महीने में आती है। परंतु फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को महाशिवरात्रि कहा गया है। शिवरहस्य में कहा गया है।


अर्थात फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी की रात्रि में आदिदेव भगवान शिव करोडों सूर्यों के समान प्रभाव वाले लिंग रूप में प्रकट हुए इसलिए इसे महाशिवरात्रि मानते हैं।


रात्रि में चार प्रहर की पूजा करें।


Ratri First Prahar Puja Time = 18:19 to 21:26
Ratri Second Prahar Puja Time = 21:26 to 24:33
Ratri Third Prahar Puja Time = 24:33 to 27:39
Ratri Fourth Prahar Puja Time = 27:39 to 30:46


जब किसी का मन विचलित हो, परिवार में कलह हो रहा हो, अनचाहे दु:ख मिल रहे हो तब शिवलिंग पर दूध की धारा चढ़ाना सबसे अच्छा उपाय है. इसमें भी शिव मंत्रों का उच्चारण करते रहना चाहिए.।अभिषेक के समय "श्रीरुद्राष्टकम" अथवा "शिवतांडवस्‍तोत्रम" का पाठ शिव को अत्यंत प्रसन्नता प्रदान करता है। परन्तु अगर आप इनका पाठ नहीं कर सकते तो "ॐ नमः शिवाय" का ही जप करें। यह शिव का सबसे सुन्दर तथा आसान, पञ्चाक्षर मंत्र है।
गायत्री से उत्पन्न, चार कलाओं वाला, चौबीस अक्षरों से युक्त
“तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि। तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥”
ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार जो शिवरात्रि के दिन भगवान शंकर को बिल्वपत्र चढ़ाता है, वह पत्र-संख्या के बराबर युगों तक कैलास में सुख पूर्वक वास करता है। पुनः श्रेष्ठ योनि में जन्म लेकर भगवान शिव का परम भक्त होता है। विद्या, पुत्र, सम्पत्ति, प्रजा और भूमि-ये सभी उसके लिए सुलभ रहते हैं।


गन्ने के रस की धारा से अभिषेक करने पर हर सुख और आनंद मिलता है. शिव पर जलधारा से अभिषेक मन की शांति के लिए श्रेष्ठ मानी गई है.।


भौतिक सुख-सुविधाओं को पाने के लिए चंदन का या गुलाब का इत्र की धारा से शिवलिंग का अभिषेक करें.।


सभी धाराओं से श्रेष्ठ है गंगाजल की धारा. शिव को गंगाधर कहा जाता है. शिव को गंगा की धार बहुत प्रिय है. गंगा जल से शिव अभिषेक करने पर चारों पुरुषार्थ की प्राप्ति होती है. दूध में मिलाकर इससे अभिषेक करते समय महामृत्युंजय मन्त्र जरूर बोलना चाहिए.।


घी व शहद- रोगों के नाश व लम्बी आयु के लिए घी व शहद से अभिषेक करें। भगवान शिव के 'त्रयम्बक' स्वरुप का मानसिक ध्यान करें।


जल से अभिषेक -हर तरह के दुखों से छुटकारा पाने के लिए भगवान शिव का जल से अभिषेक करें।


दूध से अभिषेक- शिव को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद पाने के लिए दूध से अभिषेक करें।


फलों का रस- अखंड धन लाभ व हर तरह के कर्ज से मुक्ति के लिए भगवान शिव का फलों के रस से अभिषेक करें।


सरसों के तेल से अभिषेक- ग्रहबाधा नाश हेतु भगवान शिव का सरसों के तेल से अभिषेक करें।


काले तिल से अभिषेक-तंत्र बाधा नाश हेतु व बुरी नजर से बचाव के लिए काले तिल से अभिषेक करें।


शहद मिश्रित गंगा जल- संतान प्राप्ति व पारिवारिक सुख-शांति हेतु शहद मिश्रित गंगा जल से अभिषेक करें।


कपूर मिला जल शिवजी को अर्पित करे उस से हेल्थ प्रोब्लेम्स ख़त्म होती है ।


पंचामृत से शिवलिंग पर.अभिषेक करने से सभी मनोकामनाएं पुरी होती है ।


108 वेल पत्र शिवजी पर अर्पित करे विवाह सम्बन्धी प्रोब्लेम्स है तो । एक ही वेल पत्र को धोकर बार बार चढ़ा सकते है ।


नौकरी के लिये जल अभिषेक करे और 11घी के दीपक जलाये और प्राथना करे ।


ॐ जूँ स : माम पालय पालय का रुद्राक्ष की माला से जप करे । अगर कोई बीमारी पीछा नही छोड़ रही तो।