होलिका दहन मुहूर्त 2019


इस साल होलिका दहन 20 मार्च को किया जाएगा। इसके अगले दिन यानी 21 मार्च को रंग खेलकर होली मनाई जाएगी। होलिका दहन और पूजा करने का महत्व पुराणों में बताया गया है। नारद पुराण के अनुसार होली पर पितरों की पूजा करने से दोष दूर होते हैं। वहीं होली की पूजा करने से महालक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। होली की परिक्रमा करने का भी बहुत महत्व है। ऐसा करने से हर तरह की परेशानियां, रोग और दोष खत्म हो जाते हैं


होलिका दहन कब करें
हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार होलिका दहन पूर्णिमा तिथि में प्रदोष काल के दौरान करना चाहिए। प्रदोष काल यानी दिन खत्म होने और रात की शुरुआत होने के बीच का समय। पूर्णिमा तिथि पर इस समय भद्रा नहीं हो तो हाेलिका दहन करना चाहिए। इसी योग में होली की पूजा भी करनी चाहिए। इस साल 20 मार्च को रात 08:58 तक भद्रा है। जिस वजह से भद्रा खत्म होने पर होलिका दहन किया जा सकेगा


होलिका दहन कैसे करें
होलिका दहन से पहले पूजा करते समय होलिका पर हल्‍दी का टीका लगाएं। होलिका के चारों ओर अबीर गुलाल से रंगोली बनाएं और उसमें पांच फल, अन्‍न और मिठाई चढ़ाएं। होलिका के चारों ओर 7 बार परिक्रमा करके जल अर्पित करें। ऐसा करने से इससे घर में समृद्धि आती है। होलिका दहन का पर्व पौराणिक घटना से जुड़ा हुआ है। इस दिन बुराई पर अच्‍छाई की जीत हुई थी। भगवान विष्‍णु के भक्‍त प्रह्लाद को होलिका की अग्नि भी जला नहीं पाई थी।


होलिका दहन और पूजा करने के फायदे


होली की पूजा में गाय के उपलों और मखानों का उपयोग करने से लक्ष्मी जी प्रसन्न होती हैं और इससे घर में शांति बनी रहती है।


होलिका दहन के समय एक नारियल के सूखे गोले में जौ, तिल, चावल और शक्कर के साथ घी भरें। फिर उसे जलती हुई होली की अग्नि में डाल दें। ऐसा करने से पितृदोष खत्म होता है और आर्थिक समृद्धि मिलती है।


होलिका दहन होने से पहले या बाद में शाम के समय घर में उत्तर दिशा में शुद्ध घी का दीपक जलाएं। ऐसा करने से घर में सुख शांति आती है।


नारद पुराण के अनुसार होलिका दहन के अगले दिन पितरों की पूजा करना शुभ माना गया है। इस दिन तर्पण-पूजा करने से हर तरह के दोषों से छुटकारा मिल जाता है।


होलिका दहन में जौ और गेहूं के पौधे डालते हैं। फिर शरीर में उबटन लगाकर उसके अंश भी डालते हैं। ऐसा करने से जीवन में आरोग्यता और सुख समृद्धि आती है