रोहिणी के स्वर्ण जयंती पार्क पुलिस की मुठभेड़, 5 बदमाश गिरफ्तार


नई दिल्ली, रोहिणी के स्वर्ण जयंती पार्क सेक्टर-10 के पास सोमवार तड़के स्पेशल सेल और नीरज बवानिया गैंग के बदमाशों के बीच मुठभेड़ हुई। इसमें तीन बदमाशों को गोली लगी। साथ ही पांच बदमाशों को मौके पर ही दबोच लिया गया। इनमें से एक नाबालिग बताया जा रहा है। आरोपितों की पहचान अर्पित छिल्लर, सुनील भूरा, रविंदर और सुखविंदर के रूप में हुई है। रविंदर के अलावा बाकी दोनों बदमाशों के पैर में गोली लगी है। उनको अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। बदमाशों के पास से पांच पिस्तौल, दर्जनभर कारतूस और काले रंग की एक लग्जरी होंडा अमेज कार जिसको लूटा गया था, बरामद हुई है।
पुलिस उपायुक्त संजीव यादव ने कहा कि सेल को सूचना मिली थी कि बवानिया गैंग के बदमाश किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने के लिए अलीपुर, नरेला की तरफ आने वाले हैं। सेल की टीम ने मौके पर घेराबंदी कर जब बदमाशों को रोकने की कोशिश की, तो बदमाशों ने गोली चला दी। जवाब में अपने बचाव में सेल की टीम ने भी गोली चलाई। बदमाशों की दो से तीन गोली पुलिसकर्मी की सुरक्षा जैकेट पर लगी, जबकि पुलिस की गोलियों से तीन बदमाश घायल हो गए। आरोपित दुष्यंत उर्फ मोनू बाजितपुरिया और सोनू उर्फ चिडी का सहयोगी हैं जो नीरज बवानिया गिरोह के सदस्य हैं। सूत्रों की मानें तो बदमाश एक गैंगवार की दुश्मनी में किसी बदमाश की हत्या करने जा रहे थे। एक फरवरी को नरेला में विकास चैहान उर्फ विक्की की उसकी इको कार में गोली मारकर हत्या की थी। गत 20 जनवरी को शालीमार बाग में मोहित की गोली मारकर हत्या की गई थी। गैंग के ऊपर हत्या की कोशिश, कार लूट, वसूली, धमकी देने जैसे कई केस पहले से दर्ज हैं। गैंग तिहाड़ जेल में बंद नीरज और बाजीतपुरिया के आदेश पर चल रहा था। बदमाशों की गोली सीने पर पुलिस की गोली पैरों पर क्यों? रोहिणी स्थित जापानी पार्क में हुई मुठभेड़ में पांच आरोपित पकड़े गए। इनमें तीन के पैर में गोली लगी जबकि बदमाशों ने पुलिस वालों के सीने पर गोली चलाई। अगर सुरक्षा जैकेट नहीं होती तो उनकी जान भी जा सकती थी। पकड़े गए सभी बदमाशों ने दिल्ली के बाहरी इलाकों में दहशत मचा रखा है। पुलिस की कार्यशैली पर सवाल भी खड़े होते हैं। इन सबके बावजूद पुलिस की गोली बदमाशों के पैर में ही लगी। पहले भी सेल ने मुठभेड़ में बदमाश पकड़े थे जिनके पैर में ही गोली लगी थी। इससे सेल की इस मुठभेड़ पर सवाल दोबारा से उठ रहे हैं। बेशक पुलिस अधिकारी भले ही कहें कि उनकी प्राथमिकता बदमाशों को गिरफ्तार कर उनसे उनके बाकी गैंग के बारे में पूछकर उनको भी दबोचने की हो।


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