पूरे ब्रह्माण्ड की भाषा है संस्कृत: डॉ. सोनिया रावत


नई दिल्ली, भारतीय संस्कृति, संस्कार एवं संस्कृत भाषा का महत्व हमें विदेशों में दिखाई देता है। विश्व में भारतीय संस्कृति सवसे श्रेष्ठ संस्कृति मानी जाती है। संस्कृत भाषा सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की भाषा है। संस्कृत भाषा का न तो आदि है और न ही अन्त है यह भाषा शारस्वत है। प्राचीन काल से ही भारत का इतिहास लम्बा एवं अनेक प्रतिभाओं से भरा हुआ है। भारतीय संस्कृति, संस्कार एवं संस्कृत भाषा विश्व में सब से प्राचीन एवं आज भी सवसे अहम हैं। हमारी संस्कृति विश्व को अनेक शिक्षायें देती आ रही है।


ये विचार दिल्ली संस्कृत अकादमी दिल्ली सरकार द्वारा झण्डेवालान करोलबाग नई दिल्ली में आयोजित दिल्ली राज्य स्तरीय केन्द्रीय संस्कृत प्रतियोगिता समारोह की मुख्य अतिथि सर गंगाराम अस्पताल की डॉ. सोनिया रावत ने व्यक्त किये। डॉ. रावत ने आगे कहा कि विश्व में हमारी पहिचान भारत ही है और भारतीय ही रहेगी। संस्कृत एवं हिन्दी का हमे निरन्तर बोलने एवं लिखने का प्रयास करना चाहिये। मैने 17 वर्षो तक इगलैण्ड में चिकित्सक का कार्य किया वहा यही पाया कि भारतीय संस्कृति ही सर्वोपरि है। यही संस्कृति मुझे वापस भारत लाई है।


इस अवसर पर अकादमी के सचिव डॉ. जीतराम भट्ट ने कहा कि दिल्ली संस्कृत अकादमी द्वारा दिल्ली के युवाओं के लिये विगत तीन दिनों से दिल्ली में युवा उत्सव के रूप में मनाया जा रहा है। इस युवा उत्सव में दिल्ली संस्कृत अकादमी द्वारा दिल्ली शिक्षा निदेशालय के 13 मण्डलों में आयोजित संस्कृत की छः प्रतियोगिताओं में मण्डल स्तर पर हर प्रतियोगिता के प्रथम एवं द्वितीय स्थान प्राप्त करने वाले प्रतिभागियों के बीच आयोजित की जाती है। आज की प्रतियोगिता संस्कृत श्लोक संगीत एवं संस्कृत भाषण प्रतियोगिता थी। श्लोक संगीत प्रतियोगिता में 22 विद्यालयों ने एवं संस्कृत भाषण प्रतियोगिता में 24 विद्यालयों के छात्र/छात्राओं ने अपनी प्रतिभा प्रस्तुत की। डॉ. भट्ट ने आगे कहा कि भारत यदि विश्व में आज जाना जाता है ता वह भारतीय संस्कृति, संस्कार एवं संस्कृत भाषा के कारण जाना जाताहै। हमें युवा पीढी एवं आने वाली पीढी के माध्यम से हम संस्कृतज्ञ संस्कृत, संस्कृति एवं संस्कार से जोडने के लिये निरन्तर प्रयास करते रहेंगे।


इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए संस्कृत भाषा में प्रकाशित समाचार पत्र लोकभाषासुश्री के सम्पादक डॉ. सदानन्द दीक्षित ने कहा कि संस्कृत भाषा के कारण ही भारत में बोली जाने वाली विभिन्न भाषाओं में भारतीय संस्कृति एवं परम्पाओं का समावेश हुआ। दिल्ली संस्कृत अकादमी निरन्ती संस्कृत भाषा के प्रचार प्रसार के लिये कार्य करि रही है। दिल्ली में संस्कृत अकादमी गतिविधियों से दिल्ली का नाम संस्कृत नगर किया जाना चाहिये। संस्कृत विश्व कल्याण की समग्र भाषा है। 1994 में सर्वोच्च न्यालय ने भी संस्कृत भाषा के महत्व को समझते हुए इसे तृतीय भाषा के रूप् में पढनेक के निर्देश दिये थे। प्राचीन काल से ही संस्कृत साहित्य विश्व को संस्कृति एवं ज्ञान विज्ञान की नई दिशा दे रहे हैं।


इस प्रतियोगिता में काव्यालि प्रतियोगिता में प्रथम स्थान दिल्ली पव्लिक स्कूल मथेरा रोड, द्वितीय स्थान सर्वोदय कन्या विद्यालय यमुना विहार, दिल्ली को,, तृतीय स्थान गार्गी सर्वोदय कन्या विद्यालय ग्रीनपार्क को, चतुर्थ स्थान अमृता विद्यालय सैक्टर-7 पुष्प विहार को तथा पंचम स्थान सुमेरमल जैन पििव्लक स्कूल जनकपुरी को प्राप्त हुआ। भाषण प्रतियोगिता में प्रथम स्थान सी.आर.पी.एफ पव्लिक स्कूल रोहिणी को, द्वितीय स्थान एम,एल,खन्ना पव्लिक स्कूल सैक्टर-6 द्वारका को, तृतीय स्थान सर्वोदय कन्या विद्यालय नं-2, नरेला को, चतुर्थ स्थान रामजस उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पूसा रोड को तथा पंचम स्थान वायु सेना उ.मा. विद्यालय लोक कल्याण मार्ग नई दिल्ली को प्राप्त हुआ। तीन दिनों तक चले इस युवा उत्सव 156 विद्यालयों के 600 से अधिक प्रतिभागी छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। जिसमें से 30 विद्यालयों के 110 छात्र-छात्राओं ने पुरस्कार प्राप्त किये। अन्य छात्र-छात्राओं को प्रतिभागिता राशि से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर अनेक संस्कृत प्रेमी महानुभाव भी उपस्थित थे।