भारत का भविष्य बच्चे ही हैं जिनको आगे देश एवं संस्कृत की सेवा करनी है: तपेश्वर


नई दिल्ली, दिल्ली संस्कृत अकादमी (दिल्ली सरकार) द्वारा झण्डेवालान में तीन दिवसीय संस्कृत युवा महोत्सव का शुभारम्भ करते हुये दिल्ली शिक्षा निदेशालय के मध्य मण्डल के उप शिक्षा निदेशक तपेश्वर ने कहा कि दिल्ली संस्कृत अकादमी संस्कृत को युवा वर्ग से जोडने के लिय निरन्तर प्रयास कर रही है। संस्कृत का भविष्य युवा वर्ग से ही है। युवा वर्ग जितना संस्कृत से जुडेगा संस्कृत का उतना ही विकास होगा। जहा तक रोजगार का प्रश्न है संस्कृत विषय अन्य विषयों की अपेक्षा अधिक रोजगार के अवसर प्रदान करती है।


तपेश्वर ने आगे कहा कि भारत का भविष्य बच्चे ही हैं जिनको आगे देश एवं संस्कृत की सेवा करनी है। विश्व में आज भारत को ज्ञान एवं संस्कृति के उन्नत स्वरूप को प्रदान करने के रूप में देखा जाता है। संस्कृत के महत्व को विश्व जानता था लेकिन अब मानने भी लगा है। इस कारण सभी देश अपनी प्राईमरी स्कूल के स्तर से ही संस्कृत को पढाने का प्रयास कर रहे हैं। अकादमी द्वारा दिल्ली राज्य स्तर पर आयोजित इस प्रतियोगिता में दिल्ली के सभी शिक्षा मण्डलों की सर्व श्रेष्ठ प्रतिभागी भाग ले रहे हैं। शिक्षा का महत्व लक्ष्य से होता है सभी प्रतिभागियों को अपना लक्ष्य अवश्य निर्धारिक तरना चाहिये। जीवन में शिक्षा ही ऐसी सामग्री है जिसे कोई चोर नहीं सकता है। इस लिये शिक्षा के महत्व को समझते हुये इस को जीवन के साथ जोडने का प्रयास करना चाहिये।


इस अवसर पर कार्यक्रम की भूमिका प्रस्तुत करते हुए अकादमी के सचिव डॉ. जीतराम भट्ट ने कहा कि डॉ. भट्ट ने आगे कहा कि संस्कृत भविष्य देश की युवा पीढी से जुडा है। युवा वर्ग को संस्कृत से जोडने के लिये इस भाषा में नवीनता लाना व रोजगार से जोडना आवश्यक है। वैसे संस्कृत भाषा में रोजगार की असीम सम्भावनायें हैं परन्तु इन क्षेत्रों के बारे में छात्रों को अवगत कराया जाना आवश्यक है। देश में संस्कृत की अनेक संस्थाये चल रही है। सभी संस्कृत के विकास एवं प्रचार प्रसार के लिये अपने अपने स्तर पर कार्य कर रही है। सभी को आपस में परस्पर मिल कर काम करने की जरूरत है।


डॉ. भट्ट ने कहा कि यह बात को देखते हुए युवा वर्ग को संस्कृत से जोडने के लिये अकादमी तीन दिवसीय दिल्ली राज्य स्तरीय संस्कृत यूवा उत्सव मना रही है। जिसमें दिल्ली के सभी मण्डलों में आयोजित संस्कृत प्रतियोगिताओं के प्रथम एवं द्वितीय स्थान पर आने वाले प्रतिभागियों के बीच प्रतियोगिता आयोजित की जा रही है। आज संस्कृत कब्बालि प्रतियोगिता एवं संस्कृत वाद विवाद प्रतियोगिता आयोजित की गई। आज की प्रतियोगिता में 300 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया।


इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये अकादमी की उपाध्यक्षा डॉ. कान्ता भाटिया ने कहा कि संस्कृत भाषा एंव साहित्य को केवल संस्कारों तक ही सीमित करके नहीं देखना चाहिये जहां संस्कृत भाषा भारतीय संस्कृति को परिस्कृत करती है वहीं उतनी ही अधिक मात्रा में ज्ञान विज्ञान का आधार स्तम्भ भी है। संस्कृत भाषा भारतीय संस्कृति के आधार हैं। संस्कृत में वर्णित ज्ञान विज्ञान से ही भारतीय संस्कृति, संस्कार एवं संस्कृत भाषा विश्व में सवसे प्राचीन एवं आज भी सवसे अहम हैं।


काव्यालि प्रतियोगिता में प्रथम स्थान एस.एल.एस.डी.ए.बी. स्कूल मौसम विहार को, द्वितीय स्थान गुउले पटिलक स्कूल शालीमार बा नई दिल्ली, तृतीय स्थान बाल भारती पव्लिक स्कूल गंगाराम, चतुर्थ स्थान राजकीय उचत्तर माध्यमिक विद्यालय नथूपुरा दिल्ली एवं पंचम स्थान सूमेरूमल जैन पब्लिक स्कूल जनकपुरी को प्राप्त हुआ। वाद विवाद प्रतियोगिता में प्रथम स्थान सी.आर.पी. एफ पव्लिक स्कूल प्रशात विहार को, द्वितीय स्थान राजकीय प्रतिभा विकास विद्यालय सेक्टर-11 रोहिणी को, तृतीय स्थान भारतीय हवद्या भवन, के मार्ग, चतुर्थ स्थान गार्गी सर्वोदय विद्यालय ग्रीन पार्क नई दिल्ला को एवं पंचम स्थान मयूर पव्लिक स्कूल पडपडगंज को प्राप्त हुआ। विजेता प्रतिभागियों को नकद पुरस्कार से सम्मानित किया गया।


इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में दिल्ली शिक्षा निदेशालय के उमेश दत्त ओझा ने कहा कि दिलली संस्कृत अकादमी द्वारा युवा उत्सव के रूप में दिल्ली के छात्रों के लिये आयोजित राज्य स्तरीय प्रतियोगिता संस्कृत के विकास के लिये महत्त्वपूर्ण है। इस प्रकार के आयोजनों से संस्कृत के विकास को नई दिशा मिलेगी। यहा पर आये सभी छात्र-छात्राओं को मेंरी शुभकामना है। इस अवसर पर अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।