उत्तराखण्ड का प्रतीक पर्व माना जाता है उत्तरायणीः गीता रावत


नई दिल्ली, उमंग और उत्साह से मनुष्य के रोग, शोक और समस्याओं का निदान हो जाता है। प्रकृति ने स्वयं संसार में ऊर्जा प्रदान करने की व्यवस्था की है। उत्तरायणी पर्व जीव जगत में उत्साह संचार का ही काम करता है। सूर्य उत्तरायण होते ही मनुष्य में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, इसलिए उसमें जीव जगत शारीरिक और मानसिक रूप से समर्थ हो जाता है। ये विचार विधायक ने उत्तरायणी का उद्घाटन करते हुए व्यक्त किये। नगर निगम पार्षद श्रीमती गीता रावत ने कहा कि उत्तराखण्ड भक्ति और नदियों का उद्गम है। इसलिए इसे देवभूमि भी कहते हैं। उत्तरायणी उत्तराखण्ड का प्रतीक पर्व के रूप में अपनी पहचान बना रहा है।


हिन्दी अकादमी के सचिव डॉ. जीतराम भट्ट ने इस अवसर पर कहा कि मकर संक्रान्ति पर सूर्य उत्तरायण होता है। सूर्य उत्तरायण होते ही समस्त प्रकृति में नया स्पन्दन और परिवर्तन होता है। इसलिए पूरे भारत में यह संक्रान्ति एक पर्व के रूप में मनायी जाती है। हिन्दी अकादमी द्वारा उत्तरायणी पर्व और बद्री उत्सव मनाया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि विनोद नगर में यह पर्व मनीष सिसोदिया की विधायक सांस्कृतिक निधि के अन्तर्गत किया जा रहा है।


डॉ. जीतराम भट्ट ने आगे बताया कि हिन्दी अकादमी द्वारा पूरी दिल्ली में एक साथ 60 स्थानों पर उत्तरायणी कार्यक्रम आयोजित की जा रही है। डॉ. भट्ट ने बताया कि दिल्ली सरकार द्वारा विगत वर्षों से दिल्ली के विभिन्न इलाकों में उत्तरायणी का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस वर्ष भी तीर्थ यात्रा समिति के साथ संयुक्त तत्त्वावधान में हिन्दी अकादमी द्वारा 60 स्थानों पर इस प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं। उत्सव में दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों में रहने वाले उत्तराखण्डी जन-समुदाय ने अपनी परम्परा के अनुसार सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये। अनेक गणमान्य व्यक्ति और इस अवसर पर उपस्थित थे।