तीनों नगर निगमों के खिलाफ बदले की भावना काम कर रही है दिल्ली सरकार: विजेन्द्र गुप्ता


नई दिल्ली, दिल्ली भाजपा कार्यालय में शुक्रवार को आयोजित एक पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुये दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेन्द्र गुप्ता ने कहा कि दिल्ली सरकार ने पांचवें दिल्ली वित्तीय आयोग द्वारा की गई 29 महत्वपूर्ण सिफारिशों को नामंजूर करके नगर निगमों को आर्थिक व प्रशासनिक रूप से पंगु बनाने की बड़ी साजिश रची है। ये सिफारिशें निगमों को सुदृढ़ और स्वपोषित बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकती थीं। परंतु केजरीवाल सरकार ने निगमों के हित से प्रेरित चैथे दिल्ली वित्त आयोग का निर्दयतापूर्वक गला घोट दिया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री बदले की भावना से काम कर रहे हैं।


संवाददाता सम्मेलन मे भाजपा विधायक मंजिन्दर सिंह सिरसा तथा जगदीश प्रधान सहित प्रदेश मीडिया प्रमुख अशोक गोयल देवराह भी उपस्थित थे। विधायकों का कहना था कि सिफारिशों को अस्वीकृत कर केजरीवाल सरकार ने करोड़ों दिल्लीवासियों के साथ ही नहीं अपितु नगर निगमों के लाखों कर्मचारियों के साथ भी घोर अन्याय किया है। दिल्ली सरकार की निर्ममता से लाखों परिवार प्रभावित होंगे।

विजेन्द्र गुप्ता ने कहा कि उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने विधानसभा में भ्रम फैलाने की पूरी कोशिश करी। उन्होंने आयोग की सिफारिशों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया। उन्होंने कहा कि निगमों का शेयर 10.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 12.5 प्रतिशत कर दिया गया है। जबकि सत्य यह है कि निगमों का शेयर 17 प्रतिशत से घटाकर 12.5 प्रतिशत कर दिया है।इस 12.5 प्रतिशत में से भी 6.5 प्रतिशत ऐसा है जो नगर निगमों को कभी मिल ही नहीं पाएगा और नगर निगमों की वित्तीय स्थिति पहले से भी ज्यादा खराब हो जाएगी।


दिल्ली सरकार ने आयोग द्वारा प्रस्तावित ऋण अदायगी की प्रक्रिया को स्वीकार नहीं किया है। यह सिफारिश की गई थी कि दिल्ली सरकार ऋण अदायगी को कर में हिस्से को देते समय न काटे। परंतु दिल्ली सरकार ने ऐसा नहीं किया। इसका अर्थ यह हुआ कि 2037.54 करोड़ रूपये की ऋण अदायगी पहले की भांति ही देय रह जाएगी। दिल्ली सरकार निगमों को कर का भाग देते समय उसमें से दिए गए ऋण को काटने की इच्छुक है। यह निगमों को पंगु बनाने की चाल का ही हिस्सा है।


केजरीवाल सरकार का असहानुभूति पूर्ण रवैया इस बात पर झलकता है कि उसने आयोग की यह सिफारिश रद्द कर दी है कि ऋण केवल उत्पादक उद्देश्यों से ही दिया जाना चाहिए। यदि निगम 35 से 45 दिन तक ऋण चुकाने की स्थिति में न हो तो ऋण को अनुदान में परिवर्तित कर देना चाहिए। सदैव के लिये ऋण अदायगी की प्रतीक्षा करना अनुचित है।


विपक्ष के नेता ने कहा कि आयोग की बुद्धिमतापूर्ण सिफारिश थी कि ट्रांसफर ड्यूटी 3.5 प्रतिशत से घटाकर 1 प्रतिशत की जानी चाहिए परंतु सरकार ने इसे भी रद्द कर दिया। यदि यह सिफारिश मान ली जाती तो निगमों को करोड़ों रूपयों की बचत होती और वह पैसा विकास में लगाया जा सकता था। सरकार द्वारा पुनर्वास कालोनियों के लिये प्रावधान को समाप्त कर दिया गया है। इससे निगमों को 44.06 करोड़ रूपये की हानि हुई। इस राशि के न मिलने से पुनर्वास कालोनियों में किये जाने वाले कार्यों में बाधा आएगी। इन कालोनियों में विकास की गति रूक जाऐगी।


वित्त आयोग ने अस्पतालों के लिए 280 करोड़ रूपये का विशेष अनुदान दिए जाने की सिफारिश करी थी। परंतु सरकार ने इसे न केवल अस्वीकार कर दिया अपितु निगमों से अस्पतालों को अपने अधीनस्थ लेने का राग भी अलाप दिया। यह निगमों द्वारा प्रदान की जा रही महत्वपूर्ण नागरिक सेवाओं में दखल डालने वाली सोच है। वित्त आयोग ने सिफारिश की थी कि निगमों को नालियों के रखरखाव के लिए 80 से 100 करोड़ रूपये की राशि जारी की जाए परंतु दुर्भाग्यवश दिल्ली सरकार ने इसे अस्वीकार कर दिया।


विधायक मंजिन्दर सिंह सिरसा ने कहा कि हमने दो विषयों पर विधानसभा स्पीकर को सदन में चर्चा के लिए नोटिस दिया था। एक राजीव गांधी से भारत रत्न वापिस लेने का विषय था और एक सीलिंग का विषय था। दोनों ही विषय पे चर्चा तो क्या ही हुई हमारे साथ दुर्व्यवहार और किया गया जैसे पता नही हमने चर्चा की माँग करकर कोई भूल कर दी हो। पहली बार विधानसभा में आप विधायक मार्शल को निर्देश देते दिखे और एक सरदार की दस्तार उतार दी, मेरी पगड़ी उतारने को लेकर मैंने विधानसभा स्पीकर को लिखित शिकायत भी दी है ।यह सभी घटनाक्रम से यह सिद्ध होता है की आप पार्टी कांग्रेस को खुश करने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है और एसा लगता है की आम आदमी पार्टी का संचालन 10 जनपथ से हो रहा है। आम आदमी पार्टी 1984 के दंगा पीड़ितों के साथ नहीं है बल्कि उनके कातिलों के साथ खड़ी है।


विधायक जगदीश प्रधान ने कहा कि आम आदमी पार्टी के विधायक के निर्देश पर मार्शलों ने हमारे साथ दुव्र्यवहार किया। जब हमने सीलिंग के मुद्दे पर विचार-विमर्श के लिये आग्रह किया। उन्होंने आरोप लगाया कि 1600 कालोनियां सीधे ही दिल्ली सरकार के अधीन हैं और दिल्ली सरकार के इशारे पर ही उनमें सीलिंग के नोटिस जारी किये जा रहे हैं। इससे आम आदमी पार्टी सरकार के दोहरा चरित्र उजागर होता है और दिल्ली में सीलिंग के प्रति इस सरकार की उदासीनता झलकती है।