सेलफोन पर बनी फिल्में छोटी कहानी होकर भी बड़ा सन्देश देती: के.एल. गांजू


बारहवें अंतराष्ट्रीय सेलफोन सिनेमा समारोह का हुआ उद्घाटन


नोएडा, नोएडा फिल्म सिटी स्तिथ मारवाह स्टूडियो में शनिवार को बारहवें अंतराष्ट्रीय सेलफोन सिनेमा समारोह का उद्घाटन किया गया। इस मौके पर कॉमरस के फॉरेन मिनिस्टर के.एल. गांजू, ओरिएण्टल यूनिवर्सिटी इंदौर के वाईस चांसलर प्रोफेसर देवेंद्र पाठक, हिमालयन गढ़वाल यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर प्रोफेसर एन.के. सिन्हा, स्टार बज कलैंडर से सीमा गुम्बर और मारवाह स्टूडियो के निदेशक संदीप मारवाह उपस्थित रहे।


उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए कॉमरस के फॉरेन मिनिस्टर के.एल. गांजू ने कहा कि हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई धर्म व जाति नहीं चलती, चलता है तो सिर्फ एंटरटेनमेंट, और इस एंटरटेनमेंट के लिए आज लाखों लोग फिल्म इंडस्ट्री में काम कर रहे है। जबसे वेब सीरीज या इंटरनेट मूवीज का चलन बढ़ा है, तबसे तो काम करने वालों की भीड़ सी जमा हो गयी है। हर इंसान उसमे अपने हिस्से का किरदार ले लेता है, उसी के साथ सेलफोन पर बनी फिल्में जो छोटी कहानी होकर भी बड़ा सन्देश देती है, उसने हर इंसान को एक्टर बना दिया है।


समारोह का दीप प्रज्ज्वालित करने के बाद मारवाह स्टूडियो के निदेशक संदीप मारवाह ने कहा कि हर इंसान के भीतर एक छुपा हुआ कलाकार होता है बस जरूरत होती है उसे बाहर निकालने की और उसी छिपी हुई प्रतिभा को बाहर निकालता है हमारा अंतराष्ट्रीय सेलफोन सिनेमा समारोह, और आज मुझे यह कहते हुए बड़ी खुशी हो रही है की इंटरनेशनल कान्स फेस्टिवल में भी सेलफोन सिनेमा को भी अब शामिल किया जा रहा है।


देवेंद्र पाठक ने कहा कि इस समारोह के बारे में यही कहना चाहूंगा कि कुछ सालों पहले किसी ने सोचा भी नहीं था कि वह अपने फोन से फिल्म का भी निर्माण कर सकेगें लेकिन आज यह संभव हो गया है जिसे हम हर रोज अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर देखते भी है, आज हम कह सकते है की सारी दुनिया मोबाइल में सिमट गयी है और वो दुनिया हमारे हाथ में है।


एन.के. सिन्हा ने कहा कि इस सेलफोन सिनेमा द्वारा मनोरंजन और रचनात्मकता के दायरे का एक नया विकास हो रहा है। आज मोबाइल से बनी वीडियो और फोटो से न सिर्फ मनोरंजन हो रहा है बल्कि ज्ञान भी बढ़ रहा है, आज कोई भी इंसान अकेला नहीं है उसके साथ उसके मोबाइल के कैद लाखो गतिविधियां है। सीमा गुम्बर ने कहा कि मोबाइल से फिल्मे बनाना बहुत ही आसान, सस्ता है किसी कैमरे की तुलना में। इस अवसर पर पारुल मेहरा की पेंटिंग प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया गया जिसका विषय था जिन्दगी और उसके रंग।