संस्कृत भाषा एवं साहित्य युवा वर्ग को विचारों एवं चिन्तन की नई दिशा देती है: प्रो. उपेन्द्र राव


नई दिल्ली, संस्कृत को विश्व स्तर पर ज्ञान विज्ञान की भाषा की भाषा वनाने के लिये हमें और अधिक प्रयास करने की जरूरत है। आज के आधुनिक युग में शिक्षा के क्षेत्र में अनेक विद्यालय, महाविद्यालय संस्कृत पढ़ने के लिये बच्चों को प्रोत्साहित कर रहे है। विश्व में अनेक विश्वविद्यालयों में संस्कृत को पढाया जा रहा है। किसी भी देश को शसक्त बनाने में उस देश की युवा पीढी का सवसे अधिक योगदान होता है। जिस देश में युवा वर्ग सवसे अधिक सशक्त एवं विचार शील हो वह राष्ट्र विकास की नई उचाईयों को पाता है।


ये विचार दिल्ली संस्कृत अकादमी दिल्ली सरकार द्वारा माता सुन्दरी महाविद्यालय नई दिल्ली में आयोजित महाविद्यालयीय संस्कृत भाषण प्रतियोगिता समारोह के मुख्य अतिथि जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय के संस्कृत विभागाध्यक्ष प्रो. उपेन्द्र राव ने व्यक्त किये। प्रो. राव ने आगे कहा कि संस्कृत भाषा के विभिन्न आयामों में संस्कृत भाषण का अपना अलग महत्व है। भाषाण के माध्यम से प्रतिभागी अपने विचारों को रखने की कला सीखता है जो आगे चलकर भविष्य में व्यक्ति के कौशल के निर्मित करने में सहायक होती है। देश के विकास में संस्कृत छात्रों, विद्वानों एवं संस्कृत साहित्य का हर समय योगदान रहा है और आगे भी रहेगा। संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है और भारतीय संस्कृति का आधार है।


इस अवसर पर अकादमी के सचिव डॉ. जीतराम भट्ट ने भट्ट ने कहा कि दिल्ली संस्कृत अकादमी द्वारा दिल्ली के महाविद्यालयों एवं संस्कृत विद्यालयों के प्रतिभागियों की प्रतिभा विकशित करने के उद्देश्य से यह संस्कृत भाषण प्रतियोगिता आायोजित की गई। इस प्रतियोगिता में दिल्ली के लगभग सभी महाविद्यालयों एवं संस्कृत विद्यालयों के छात्र/छात्राओं ने भाग लिया। इसके लिये सभी प्रतिभागियों को स्वागत है। इस प्रकार के कार्यक्रमों के माध्यम से संस्कृत भाषा को मजबूती मिलती है।


इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षत करते हुए माता सुन्दरी महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. हरप्रीत कौर ने कहा कि संस्कृत भाषा मानव सभ्यता के प्राचीनतम इतिहास से जुड़ी भाषा है। विज्ञान के सवसे समीप भाषा होने का गौरब भी संस्कृत भाषा को ही है। दिल्ली में अनेक संस्थाएं निस्वार्थ भाव से संस्कृत के विकास एवं ज्ञान विज्ञान का कार्य कर रही है। श्री मोती नाथ संस्कृत महाविद्यालय भी संस्कृत की शिक्षा में अनेक वर्षों से अपना योगदान देता आ रहा है।


इस अवसर पर लक्ष्मीवाई महाविद्यालय की संस्कृत विभाग की पूर्व आचार्या डॉ. सावित्री गुप्ता ने कहा कि भाषण में प्रतिभागी की वास्तवि विवेक का पता चलता है। इस में संस्कृत के बारे में किसी भी विषय पर प्रतिभागियों की क्या सोच होती है। यह भाषण के माध्यम से अनुभव किया जा सकता है। कार्यक्रम माता सुन्दरी महाविद्यालय के सान्निध्य में हुआ। जिसमें महाविद्यालय के विभागाध्यक्ष ने सभी आये अतिथियों एवं प्रतिभागियों का अभिन्दन करते हुए संस्कृत के बारे में विस्तार से बताया। इस अवसर पर डॉ. क्षेम चन्द्र सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।