नई दिल्ली, द्वंदो और समस्याओं से जूझते हुए समाज को बार बार मार्गदर्शन की जरूरत होती है। समाज को साहित्य ही सही दिशा दे सकता है। साहित्य को रुचिकर बनाने के लिए नाटक सर्वाधिक रुचिकर विधा है। नाटकों के माध्यम से जन-सामान्य को शिक्षित और-सांस्कृतिक किया जा सकता है। ये विचार हिन्दी अकादमी, दिल्ली के सचिव डॉ. जीतराम भट्ट ने एल.टी.जी थिएटर, मण्डी हाउस में आयोजित लोक साहित्य उत्सव में व्यक्त किये।
उल्लेखनीय है कि दिनांक 14 जनवरी से 16 जनवरी तक आयोजित लोक साहित्य उत्सव में जयवर्धन द्वारा लिखित कर्मेव धर्म का कुसुमलता द्वारा लिखित हरीशचन्द्रतारामती तथा विजयदान देया द्वारा लिखित नागिन तेरा बंश बढ़े का मंचंन किया गया। हिन्दी अकादमी द्वारा आयोजित इस लोक साहित्य उत्सव को युवा सांस्कृतिक संध्या के रूप में आयोजित किया गया। इन नाटकों का निर्देशन क्रमशः राघवेन्द्र तिवारी, ईवा स्वतन्त्र, और गौरव वर्मा ने किया। इस अवसर पर डॉ. क्षमा शर्मा, अवधेश श्रीवास्तव, कैलाश चन्द्र सहित अनेक साहितयकार और निर्देशक उपस्थित थे। डॉ. जीतराम भट्ट ने बताया कि अकादमी द्वारा नौटंकी शैली रागिणी और राजस्थानी शैली में इन नाटकों का मंचन किया गया।