प्रतीक है गणतंत्र दिवस कवि सम्मेलन: प्रो. रमेश कुमार पाण्डेय
नई दिल्ली, दिल्ली संस्कृत अकादमी (दिल्ली सरकार) द्वारा गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित अखिल भारतीय संस्कृत कवि सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्तिथ दिल्ली सरकार के विधायक कमाण्डो सुरेन्द्र सिंह ने कहा कि संस्कृत भाषा भारत की धरोहर है, इस भाषा को आम लोगों तक इसके सही स्वरूप में ले जाने के लिए संस्कृत के अनेक विद्वान प्रयासरत हैं। दिल्ली संस्कृत अकादमी के माध्यम से मैं भी अनेक संस्कृत विषयक कार्यक्रमों एवं गतिविधियों में निरन्तर भाग लेता रहता हूं जिससे मैं संस्कृत के विकास एवं प्रचार-प्रसार के लिए निरन्तर कार्य करने के लिए तैयार हूं।
उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली सरकार संस्कृत भाषा एवं साहित्य के विकास एवं प्रचार सार के साथ लोकप्रिय बीनाने के लिए अनेक प्रयास कर रही है। विगत वर्षो में जब से दिल्ली में आम आदमी की सरकार दिल्ली में आयी है दिल्ली सरकार ने संस्कृत अकादमी या अन्य संस्थाओं के माध्यम से संस्कृत के सभी क्षेतों को निरन्तर प्रोत्साहित कर रही है। जिससे संस्कृत भाषा एवं इसके विशाल साहित्य को विकास एवं ताकत मिले। सुरेन्द्र सिंह ने आगे कहा कि 26 जनवरी 1950 को हमारे देश में हमारा संविधान लागू हुआ। इसी दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन राष्ट्रीय पर्व के रूप में देश भर में मनाया जाता है। इस दिन को राष्ट्र के प्रति हर व्यक्ति का क्या दायित्व है राष्ट्र निर्माण में किस की क्या आवश्यकता है इसका अवलोकन करने का अवसर है।
कार्यक्रम की प्रस्तावना में अकादमी के सचिव डॉ. जीतराम भट्ट ने कहा कि जैसा कि सभी जानते ही हैं कि अकादमी प्रतिवर्ष गणतंत्र दिवस के अवसर पर अखिल भारतीय संस्कृत कवि सम्मेलन के माध्यम से देश को राष्ट्रप्रेम का संदेश दिया जाता है। कविता की प्रथम भाषा संस्कृत है। दिल्ली संस्कृत अकादमी द्वारा आयोजित इस राष्ट्रीय संस्कृत कवि सम्मेलन में देश के विभिन्न प्रदेशों से आये संस्कृत कविगणों का दिल्ली सरकार तथा कला संस्कृति एवं भाषा विभाग की ओर से अभिनन्दन है। संस्कृत अकादमी द्वारा आष्योजित इस राष्ट्रीय संस्कृत कवि सम्मेलन से संस्कृत कवियों को नई पहचान मिली है।
इस अवसर पर दिल्ली विधान सभा सदस्य विशेष रवि ने कहा कि संस्कृत भाषा में स्थित ज्ञान विज्ञान की अनन्त धाराएं प्राचीन काल से लेकर आज तक अबाध गति से विश्व में प्रवाहित होती रही है। विश्व की अनेक प्राचीन भाषाएँ, संस्कृतियां विलुप्त हो गई हैं, किन्तु भारतीय संस्कृति आज भी पूरे विश्व में अपना गौरव और महत्व के साथ विद्यमान है। क्योंकि इस के मूल में संस्कृत भाषा है। संस्कृत मानव-सभ्यता के प्राचीनतम इतिहास से जुडी भाषा एवं संस्कृति है। विश्व में काव्य सर्वप्रथम इसी भाषा में हुआ है।
इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ के कुलपति प्रो. रमेश कुमार पाण्डेय ने कहा कि दिल्ली संस्कृत अकादमी, दिल्ली सरकार द्वारा आयोजित इस प्रकार के कार्यक्रमों से दिल्ली वासियों को राष्ट्र के प्रति अपने दायित्वों को निभाने की प्रेरणा मिलेगी तथा दिल्ली के युवाओं को देश के प्रतिष्ठित संस्कृत कवियों को सुनने व उनके काव्यों जानने का अवसर मिलेगा। इस अवसर पर पंजाव से प्रो. जगदीश प्रसाद सेमवाल, अहमदाबाद से हर्षदेव माधब, दिल्ली से डॉ. रमाकान्त शुक्ल, परमानन्द झा, डॉ. बलराम शुक्ल, राजस्थान से उमेश नेपाल, लखानउ से डॉ. संस्कृता मिश्रा, केरल से एच. पूर्णिमा आदि कवियो ने अपना काव्य पाठ किया। इस अवसर पर अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थें।