प्रयागराज: शाही स्नान के साथ कुंभ 2019 का आगाज, संतों ने लगाई आस्था की डुबकी


कुम्भनगर, प्रयागराज कुंभ में मंगलवार को मकर संक्रांति पर पहला शाही स्नान शुरू हुआ। शाही स्नान के लिए सबसे पहले संगम तट पर पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी का जुलूस पहुंचा। ठंड के बाद भी दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन की गर्मी का जोश प्रयागराज के पग-पग पर अपने रंग में नजर आने लगा है। अखाड़े के देव भगवान कपिल देव तथा नागा संन्यासियों ने अखाड़े की अगुवाई की। पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी ने सबसे पहले डुबकी लगाई। परंपरा के मुताबिक सबसे पहले अखाड़े के भालादेव ने स्नान किया। उसके बाद नागा साधुओं ने फिर आचार्य महामंडलेश्वर और साधु-संतों ने स्नान किया। पंचायती अखाड़ा महानिवार्णी के बाद अटल अखाड़े के संतों ने शाही स्नान किया। दोनों अखाड़ों का स्नान पूरा हो चुका है। दोनों अखाड़ों के संत अपने शिविर की ओर प्रस्थान कर रहे हैं।


श्री पंचायती निरंजनी अखाड़ा और तोपोनिधि श्री पंचायती आनंद अखाड़े के संतों का स्नान पूरा हो चुका है। दोनों अखाड़ों के संत अपने शिविर की ओर प्रस्थान कर रहे हैं। वहीं अब शाही स्नान के लिए सबसे बड़ा अखाड़ा श्री पंच दशनाम जूना के साथ अग्नि अखाड़ा और अवाहान अखाड़े के संत संगम तट पर पहुंच रहे हैं। इसके बाद तीनों वैष्णव अणी अखाड़े दिगम्बर, निमोर्ही और निवार्णी अखाड़ा स्नान करेगा। इसके बाद दोनों बैरागी अखाड़े नया उदासीन और बड़ा उदासीन अखाड़े स्नान करेंगे। सबसे अंत में निर्मल अखाड़े के संत स्नान करेंगे। आज करीब डेढ़ करोड़ श्रद्धालुओं के संगम में डुबकी लगाने का अनुमान है। कुंभ में 6 शाही स्नान हैं जो 55 दिनों तक चलेगा। इस दौरान करीब 15 करोड़ लोग संगम में आस्था की डुबकी लगाते हुए पुण्य कमाएंगे।


मेला प्रशासन ने बताया कि सुबह 7 बजे तक 16 लाख श्रद्धालुओ ने संगम में आस्था की डुबकी लगाई। निरंजनी अखाड़े की नवनियुक्त महामंडलेस्वर केंद्रीय राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने भी अखाड़ा के साधु-महात्माओं के काफिले संग स्नान किया। दिव्य और भव्य कुम्भ का पहला मुख्य स्नान पर्व मकर संक्रांति मंगलवार को ब्रह्ममुहूर्त से शुरू हो गया। पुण्य की कामना में त्रिवेणी के संगम पर लाखों श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। संक्रांति की प्रतीक्षा अंतःकरण को शुद्ध करने के विविध मंत्रों से तट गुंजायमान हो रहे हैं। श्रद्धालु डुबकी मारने के बाद हर-हर महादेव और जय गंगे और हर-हर गंगे के उच्चारण निर्वाध गति से चल रहे हैं।


आमतौर पर मकरसंक्रांति हर साल 14 जनवरी को मनाया जाता है, लेकिन 2019 में सूर्य के मकर राशि में बिलम्ब से जाने की वजह से स्नान पर्व 15 जनवरी को मनाया जा रहा है। मकर संक्रांति के दिन पूजा-पाठ और स्नान-दान का काफी महत्व होता है। श्रद्धालु स्नान करने के बाद घाट पर बैठे पंडो को चावल, मूंग दाल, नमक, हल्दी का दान कर रहे है। कुछ श्रद्धालु तो कपड़े भी गरीबों में बांटते दिखे। संगम किनारे रेती पर आस्था, भक्ति और आध्यात्मक का अद्भुत संसार बस चुका है। लघु भारत को अपने में समेटे कुम्भ क्षेत्र में अखाड़ों में आध्यात्म की बयार बह रही है।