पंजाबी सभा रोहिणी क्षेत्र (रजि.) ने किया लोहड़ी समारोह का आयोजन


नई दिल्ली , पंजाबी सभा रोहिणी क्षेत्र (रजि.) द्वारा सैक्टर 3 रोहिणी में शनिवार शाम लोहड़ी समारोह का आयोजन धूम-धाम से किया गया। इस आयोजन में गणमान्य पंजाबियों के साथ-साथ विशेष आमन्त्रित
मशहूर गायक शंकर साहनी.गुगन सिंह( अध्य्क्ष खादी ग्राम उद्योग) महेन्दर गोयल (एम.एल.ए.)विजय पाल सिंह (अध्य्क्ष व्यापार मंडल अवंतिका) ए सी पी बीरेंदर सिंह निगम पार्षद सरोज बाला अनेश जैन कनिका संदीप जैन चित्रा अग्रवाल बॉबी सहगल सदस्य रोगी कल्याण समिति अंबेडकर हॉस्पिटल गुरदीप दत्ता संगठन मंत्री रिठाला विधान सभा आप उपस्थित रहें।


इस मौके पर पंजाबी सभा रोहिणी क्षेत्र (रजि.) के अध्यक्ष केवल कृष्ण (टीटू) ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि पंजाबी कोई जाति नहीं है, वरन 10,000 साल पुरानी संस्कृति है। ऋगवेद में पंजाब को सप्त-नद कहा गया है और महाभारत में इसे पंच-नद कहा गया है। भारतीय पंजाब व अविभाजित पंजाब के मूल निवासी, चाहे वो किसी भी जाति अथवा धर्म से हो, पंजाबी ही कहलाते है। जैसे पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह खत्री सिख है, पर पूर्व प्रधानमंत्री इन्द्र कुमार गुजराल खत्री हिन्दू थे।


उन्होंने आगे कहा कि अरुण जेटली पंजाबी ब्राह्मण है, लाला लाजपत राय पंजाबी वैशेय थे, अमर शहीद भगत सिंह जाट सिख थे व उनके साथी क्रांतिकारी सुखदेव थापर भी खत्री थे। आज के समय में लोकप्रिय क्रिकेटर विराट कोहली खत्री हिन्दू है। इन सभी को हम पंजाबी के तौर पर ही जानते है। दीपक विग ने बताया कि आजादी से पहले पंजाब एक बहुत बड़ा राज्य था, परन्तु कालान्तर में इसका 60 फीसदी हिस्सा पाकिस्तान में चला गया, और बचे हुए 40 फीसदी भाग में से भी हिमाचल, हरियाणा अलग हो गए। आज भी पुरे देश में 5 करोड पंजाबी है, जिसमे से 3 करोड के करीब पंजाब में है और 2 करोड के करीब देश भर में फैलें हुए है। इस के साथ-साथ विदेशों में भी पंजाबी आबादी बड़ी संख्या में है।


पंजाबी सभा रोहिणी क्षेत्र (रजि.) के चेयर मैन नरेंदर मेहता (पपी) ने लोहड़ी पर्व का महत्व बताते हुए कहा कि लोहड़ी का त्यौहार मकर संक्राति से एक दिन पहले 13 जनवरी को हर वर्ष मनाया जाता हैं। इस प्रकार, लोहड़ी त्यौहार पौष माह के अंतिम दिन, सूर्यास्त के बाद (माघ संक्रांति से पहली रात) यह पर्व मनाया जाता है। लोहड़ी की पूजा के समय अग्नि में डलने वाली वस्तुओं से शब्द निर्माण जान पड़ता है, जिसमें ल (लकड़ी), ओह (सूखे उपले), ड़ी (रेवड़ी) लोहड़ी के प्रतीक हैं। प्राचीन भारत में श्वतुर्यज्ञ का अनुष्ठान मकर संक्रांति पर होता था, संभवतः लोहड़ी उसी का अवशेष है। इसलिए लोहड़ी मकर संक्रान्ति के एक दिन पहले मनाया जाता है। पूस-माघ की कड़कड़ाती सर्दी से बचने के लिए आग भी सहायक सिद्ध होती है-यही व्यावहारिक आवश्यकता लोहड़ी को मौसमी पर्व का स्थान भी देती है। इस त्यौहार के पीछे मान्यता है कि खरीफ की फसल धान आदि के आगमन के बाद, किसान प्रकृति को धन्यवाद देता। इस लिहाज से लोहड़ी को एक दूसरे नाम खुशी का पर्व भी कहें तो गलत नहीं होगा।


पंजाबी सभा रोहिणी क्षेत्र (रजि.) के सचिव जसबीर जस्सी ने बताया कि लोहड़ी पर्व बहुत पुराना है, जिसके साथ अन्य किस्से भी जुड़ते गए। जैसे मुगल काल में, अकबर के शासन के दौरान, दुल्ला भट्टी पंजाब में रहा करता था। दुल्ला भट्टी ने पंजाब की लड़कियों की रक्षा की थी, क्योंकि उस समय अमीर सौदागरों को सदंल बार की जगह लड़कियों को बेचा जा रहा था। दुल्ला भट्टी ने इन्हीं सौदागरों से लड़कियों को छुड़वा कर उनकी शादी हिन्दू लड़कों से करवाई। इसलिए दुल्ला भट्टी को नायक की उपाधि से सम्मानित किया गया और हर लोहड़ी को उसकी शौर्य-कथा भी सुनाई जानी शुरू हो गई।पंजाबी सभा रोहिणी क्षेत्र (रजि.) उपाध्यक्ष सोनू आहूजा ने सभी से आधुनिकता में भी पर्वो में माध्यम से पंजाबियत को जिन्दा रखने की अपील की।


उत्सव मनाने के लिए पंजाबी सभा के सभी सदस्यों एवं उनके परिवारों नें पूरे उत्साह के साथ बढ़-चढ़ कर भाग लिया। कार्यक्रम में पंजाबी सभा रोहिणी क्षेत्र (रजि.) के संरक्षक जगदीश नारंग.अनिल कुमरा व अजय गुरदसपुरी ने आये हुए अतिथियों को सम्मानित किया पंजाबी सभा रोहिणी क्षेत्र (रजि.) के अध्यक्ष केवल कृष्ण (टीटू) ने भी विशिष्ट अतिथियों पंजाबी सभा सदस्यों को सहपरिवार आने के लिए हार्दिक धन्यवाद किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में पंजाबी सभा रोहिणी क्षेत्र (रजि.) सभी सदस्यों योगदान रहा