नॉर्वे की प्रधानमंत्री ने इंडिया-नॉर्वे बिजनेस समिट 2019 का किया उद्घाटन

-भारत और नॉर्वे के बीच व्यवसाय सम्बंधों की मजबूती का आधार रखा


-भारत और नॉर्वे के करीब 700 व्यवसाय प्रतिनिधि उपस्थित हुए


-15 बड़े समझौतों (एमओयूज) पर हस्ताक्षर हुए


नई दिल्ली, नॉर्वे की प्रधानमंत्री एर्ना सोलबर्ग ने सोमवार को राजधानी दिल्ली में इंडिया-नॉर्वे बिजनेस समिट 2019 का उद्घाटन किया। इंडिया-नॉर्वे बिजनेस समिट 2019 में भारत और विदेशों के करीब 700 प्रतिनिधि उपस्थित हुए। समिट के पहले दिन विभिन्न व्यवसाय क्षेत्रों पर सत्र आयोजित हुए, जो नॉर्वे में निवेश के अवसरों पर केन्द्रित थे और निवेशकों को विभिन्न साझीदारों से संवाद का मौका मिला।


 


सेमिनार का आरंभ भारतीय परंपरा के अनुसार दीप प्रज्वलित कर किया गया और समारोह का उद्घाटन नॉर्वे की प्रधानमंत्री एर्ना सोलबर्ग, भारत सरकार में वाणिज्य, उद्योग एवं नागरिक उड्डयन मंत्री सुरेश प्रभु, स्टैटक्राफ्ट, नॉर्वे के सीईओ क्रिश्चियन रीनिंग-टोनेसेन, टेक महिन्द्रा की कार्यकारी समिति के सदस्य जगदीश मित्रा और यारा इंटरनेशनल में बिक्री एवं विपणन के कार्यकारी वाइस प्रेसिडेन्ट तेरजी नटसेन ने किया।


इनोवेशन नॉर्वे में डायरेक्टर ऑफ सस्टैनेबिलिटी इंगर सोलबर्ग ने स्वागत भाषण दिया और कहा, यह नॉर्वे से किसी देश में गये सबसे बड़े बिजनेस प्रतिनिधदल में से एक है। हम भारत और नॉर्वे की ओर से इसमें रूचि देखकर प्रसन्न हैं। दोनों देशों के राजनैतिक, सामाजिक और आर्थिक सम्बंध काफी मजबूत हैं और खासकर ब्लू इकॉनोमी में सहयोग का बड़ा अवसर है।



समिट को सम्बोधित करते हुए नॉर्वे की प्रधानमंत्री एर्ना सोलबर्ग ने कहा, इस भव्य स्वागत के लिये आप सभी का धन्यवाद। आप सभी, जो व्यापार, समझौते, सहयोग और समस्याओं का समाधान मिलकर कर रहे हैं, उससे भारत और नॉर्वे को प्रतिदिन निकट लाने में मदद मिल रही है। जब भारत ने वर्ष 1947 में अपनी स्वतंत्रता घोषित की थी, तब नॉर्वे उसकी संप्रभुता को मानने वाले पहले देशों में से एक था। तब से भारत और नॉर्वे में बड़े बदलाव हुए हैं-राजनैतिक और आर्थिक। जो नहीं बदला, वह है हमारी दोस्ती। वह आज भी मजबूत है। दोनों देशों का आकार भिन्न है, लेकिन अर्थव्यवस्थाएं एक-दूसरे की पूरक हैं।


भारत में नॉर्वे की लगभग 100 कंपनियां पहले से मौजूद हैं। वह विभिन्न क्षेत्रों में संलग्न हैं, जैसे मैरिटाइम सेक्टर, एनर्जी, ऑफशोर, आईसीटी और ग्रीन टेक्नोलॉजी। नॉर्वे विश्व के सबसे डिजिटल देशों में से एक है। हम विश्व के अग्रणी ज्ञान एवं प्रौद्योगिकी केन्द्रों के मेजबान हैं, जो इस प्रगति के कारक हैं। डिजिटलाइजेशन और ऑटोमैटिजेशन का तीव्र विकास सभी क्षेत्रों में हमारे व्यवसाय के तरीके बदल रहा है। मुझे लगता है कि इस क्षेत्र में नॉर्वे की कंपनियाँ भारत को बहुत कुछ दे सकती हैं।


आईएमएफ के अनुसार भारत इस वर्ष फ्रांस और यूके को पीछे छोड़कर विश्व की पाँचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। चूंकि भारत जी20 में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बनना जारी रख रहा है, इसलिये हमें व्यवसाय, व्यापार और निवेश में नॉर्वे और भारत की भागीदारी के लिये बड़ा अवसर दिख रहा है। नॉर्वे ने हाल ही में भारत के साथ संलग्नता के लिये नई रणनीति अपनाई है। इस नई रणनीति का लक्ष्य भारत और नॉर्वे के बीच द्विपक्षीय सम्बंधों और आर्थिक गठबंधन को मजबूत करना है।


इस रणनीति के प्रमुख घटक हैं, निजी क्षेत्र में संलग्नता, शोध एवं तकनीकी सहयोग। यह समुद्र, ऊर्जा, पर्यावरण, बेहतर समन्वय और राजनैतिक स्तर पर दोनों देशों के संपर्क पर केन्द्रित है। मुझे लगता है कि भविष्य में हमें जिस प्रौद्योगिकी की आवश्यकता होगी, उसके विकास के लिये व्यवसायिक भागीदारी महत्वपूर्ण है। मैं यह भी मानती हूं कि स्थायी विकास के लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये व्यवसायिक भागीदारी अमूल्य होगी।


इस संदर्भ में, हम जलवायु और पर्यावरण के क्षेत्र में भारत की आकांक्षाओं और कार्यों की प्रशंसा करते हैं। नॉर्वे और भारत के पास समुद्र हैं और इस क्षेत्र में समन्वय से दोनों देशों को लाभ होगा। इस समन्वय को आगे बढ़ाने में नॉर्वे और भारत के बीच ओशेन डायलॉग की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। व्यापार और निवेश के लिये एक स्थायी वैश्विक रूपरेखा दोनों देशों के लिये महत्वपूर्ण है, खासकर आज के समय में, जब कुछ बाजारों में सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ी है।


यह सुनिश्चित करने के लिये कि ईएफटीए और भारत के बीच ट्रेड एंड इकोनॉमिक पार्टनरशिप एग्रीमेंट जल्दी ही अंतिम रूप ले, हम यथासंभव प्रयास कर रहे हैं। इस समझौते से हमारी कंपनियों का व्यापार बढ़ेगा और उनके लिये वातावरण बेहतर होगा। इसलिये हम विदेशी कंपनियों के लिये भारत में निवेश को आसान बनाने के भारत के प्रयासों का स्वागत करते हैं। पिछले कुछ वर्षों में भारत ग्लोबल ईज ऑफ डूइंग बिजनेस इंडेक्स में 50 स्थान से ऊपर आया है, जिससे हम प्रभावित हैं। यह वास्तव में एक बड़ी उपलब्धि है, जो समृद्ध भविष्य का वचन देती है।


भारत सरकार में वाणिज्य, उद्योग एवं नागरिक उड्डयन मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा, मैं प्रधानमंत्री और उनके प्रतिनिधिमंडल का स्वागत करते हुए अत्यंत प्रसन्न हूं। हम अगले 7-8 वर्षों में भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखते हैं और नॉर्वे की कंपनियाँ भारत में निवेश कर महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। आर्थिक रूप से स्थायी वृद्धि के लिये यह अच्छा समय है। द्विपक्षीय वृद्धि के तीन स्तंभ हैं, व्यापार, निवेश और प्रौद्योगिकी।


उन्होंने कहा कि इन तीन स्तंभों के साथ हम स्थायित्व की ओर चलेंगे नहीं, बल्कि दौड़ेंगे। मैं व्यवसाय जगत के मेरे सभी मित्रों का स्वागत करता हूं और कामना करता हूं कि आपको भारत में निवेश से लंबी अवधि में स्थायी रूप से लाभ होगा। भारत का वाणिज्य मंत्री होने के नाते मैं आपको भारत में व्यवसाय वृद्धि का वचन देता हूं और उड्डयन मंत्री होने के नाते भारत और नॉर्वे के बीच कनेक्टिविटी को सर्वश्रेष्ठ बनाने का वचन देता हूं, ताकि हम केवल आर्थिक रूप से नहीं, बल्कि भौतिक रूप से भी जुड़े रहें।


भारत के साथ मजबूत व्यावसायिक भागीदारी स्थापित करने वाली नॉर्वे की कंपनियाँ हैं, खाद में यारा, हाइड्रो पॉवर में स्टैटक्राफ्ट, तेल एवं गैस उद्योग को उत्पाद, प्रणाली और सेवा प्रदान करने वाली एकर सॉल्यूशंस, पेंट में जोटुन, प्रौद्योगिकी में एवरी, जोखिम प्रबंधन सेवाओं में डीएनवी जीएल और खाद्य में ओर्कला।