लेखिका अरूंधति राय की पुस्तक के हिंदी अनुवाद का अनावरण

नई दिल्ली, दिल्ली के प्रगति मैदान में चल रहे विश्व पुस्तक मेले के पांचवे दिन राजकमल प्रकाशन के स्टाल जलसाघर में सुप्रसिद्ध लेखिका अरुंधती राय का अंग्रेजी में बहुचर्चितउपन्यास द मिनिस्ट्री ऑफ अटमोस्ट हैप्पीनेस का हिंदी अनुवाद अपार खुशी का घराना और उर्दू अनुवाद बेपनाह शादमानी की मुमलकत। का अनावरण और परिचर्चा हुई।


इस उपन्यास का हिंदी में अनुवाद वरिष्ठ कवि और आलोचक मंगलेश डबराल और उर्दू अनुवाद में अर्जुमंद आरा द्वारा किया गया, उपन्यास को दोनों भाषाओँ में राजकमल प्रकाशन द्वारा प्रकशित किया गया है। परिचर्चा में लेखिका अरुंधती राय, अनुवादक मंगलेश डबराल, अर्जुमंद आरा और राजकमल प्रकाशन के प्रबंध निदेशक अशोक महेश्वरी से युनुस खान ने उपन्यास पर विस्तार से बातचीत की।


लेखिका अरुंधती राय ने 21 वर्ष के लम्बे अंतराल के बाद उपन्यास के आने पर अपने विचार रखते हुए कहा, 1997 में गॉड ऑफ स्माल थिंग्स पुस्तक के 2-3 महीने बाद तत्कालीन भाजपा सरकार ने नुक्लेअर टेस्ट किया था और मै इसके विरोध में थी, तब मुझे नुक्लेअर पॉवर विरोध का प्रतिरूप बना दिया गया था, उस समय मेने यह निश्चय कर दिया था कि जब मुझे कुछ कहना होगा तब लिखूंगी। आगे हिंदी और उर्दू में उपन्यास के आने के बारे उन्होने कहा 39 भाषाओँ में यह पुस्तक अनुवादित हो चुकी है मगर आज मुझे अपार खुशी का आभास हो रहा है कि यह पुस्तक हिंदी और उर्दू में भी आ गयी है।


कवि और आलोचक मंगलेश डबराल ने अनुवाद के समय के अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि इस पुस्तक के शीर्षक के लिए पर बोलते हुए कहा, इस उपन्यास के शीर्षक के लिए काफी कश्कमश थी महकमा मंत्रालय आधी शब्दों के बाद घराना पर मुहर लगी। आगे उन्होंने कहा, इस उपन्यास में मुस्लिम एलजीबीटी, दलित समाज के प्रति सहानुभूति देखने को मिलती है।


उर्दू में अनुवाद करने वाली लेखिका अर्जुमंद आरा ने अनुवाद के समय के अपने अनुभव के बारे में बताते हुए कहा, यह उपन्यास को अरुंधती द्वारा जिस तरह लिखा गया है और जिस तरह शब्दों का चुनाव उपन्यास में उपयोग किये थे उनको ज्यों का त्यों खासकर उर्दू में अनुवाद करना काफी कठिन था। मगर मुझे गर्व ही कि इस तरह का उपन्यास लिखने का मुझे मौका मिला।


राजकमल प्रकाशन के प्रबंध निदेशक अशोक महेश्वरी ने कहा, यह अपार हर्ष का मौका है कि इस पुस्तक का अनुवाद हिंदी और उर्दू पाठकों के लिये आया है। यह एक एतिहासिक क्षण कि किसी उपन्यास का हिंदी और उर्दू अनुवाद साथ दृसाथ आया है।


अपार खुशी का घराना एक साथ दुखती हुई प्रेम-कथा और असंदिग्ध प्रतिरोध की अभिव्यक्ति है। उसे फुसफुसाहटों में, चीखों में, आँसुओं के जरिये और कभी-कभी हँसी-मजाक के साथ कहा गया है। उसके नायक वे लोग हैं जिन्हें उस दुनिया ने तोड़ डाला है जिसमें वे रहते हैं और फिर प्रेम और उम्मीद के बल पर बचे हुए रहते हैं। राजकमल प्रकाशन के सत्र लेखक से मिलिए में लेखक एवं ब्लॉगर प्रभात रंजन की किताब पालतू बोहेमियन से यूनुस खान और हिमांशु वाजपेयी द्वारा अंश पाठ किया गया।