रोहिणी में अवैध निर्माण का फलता फुलता कारोबार


आमतौर पर रोटी कपड़ा और मकान हर आदमी की जरूरत हैं। रोटी व कपड़े का बंदोबस्त तो लोग जैसे तैसे कर ही लेते है लेकिन इस बढ़ती महंगाई के दौर में अपने सपनों का आशियाना यानी अपना मकान बनाना हर किसी के वश में नहीं है। लोगों को मकान देने के लिए दिल्ली विकास प्रधिकरण ने अपनी ओर से काफी कोशिशें कीं लेकिन अतंतः यह महकमा भी भ्रष्टाचार का अड्डा बन कर रह गया। अब हालत ये हैं कि डी.डी.ए. जितने मकान बनाता है, उससे न तो लोगों की जरूरतें पूरी हो रही हैं और न ही डी.डी.ए. के मकानों में अच्छी निर्माण सामग्री का उपयोग होता है जिसकी वजह से लोगों का अब डी.डी.ए. के मकानों पर से मोहभंग हो गया है। वैसे दूसरी तरफ दिल्ली में ऐसे अनेकों लोग हैं जो अपनी मेहनत का पैसा-पैसा जोड़कर जैसे तैसे अपना मकान बनवाना शुरू करते हैं तो पुलिस व निगम के अधिकारी उनके निर्माण को गैरकानूनी बताकर गिराने आ जाते हैं या फिर मोटी रिश्वत लेकर लोगों द्वारा किये जा रहे अवैध निर्माणों की ओर से अपना मुंह फेर लेते हैं। आग समूची रोहिणी में जितने भी अवैध निर्माण हो रहे हैं वो सब निगम के अधिकारियों के लिए पैसे की खान बने हुए हैं। अवैध निर्माण कोई एक रात में खड़े नहीं हो जाते बल्कि ये सब पुलिस तथा निगम अधिकारियों की सांठगांठ से किये जाते हैं। सूत्रों के मुताबिक कई प्रशासनिक अधिकारियों ने तो इसके रेट तक भी तय कर रखें हैं जैसे एक छत डालने के एक लाख रूपये. दसरी छत डालने के दो लाख रूपये। आप अपनी इमारत की जितनी छते डालना चाहें क्रमशः उनकी रिश्वत देते जाइये तो आपके काम में सरकारी अमला कोई विघ्न नहीं डालेगा। सरकारी अमले को परेशानी तब होती है जब कोई अवैध इमारत गिर जाती है लोगों का आक्रोश रिश्वत खोर अधिकारियों को हाय-हाय करता नजर आता है। लेकिन ऐसे मामलों में भी जो कारवाई होती है उसमें तुरंत किसी अफसर को निलंबित नहीं किया जाता बल्कि ऐसे मामले में लीपा-पोती होती है। साथ ही साल बाद लोग भी ऐसी दुर्घटना को भूल जाते है। लेकिन अवैध निमार्गों का सिलसिला बदस्तूर जारी रहता है। अभी हाल ही में एक अधिकारी में एक अधिकारी ने अपना नाम पता न छापने की शर्त पर बताया कि अवैध निर्माण के लिए रिश्वत मांगने वाले अधिकारी का पैसा निगम के बड़े अधिकारियों तथा नेताओं की जेब में समा जाता है। इसका मतलब ये है कि हमारे निगम अधिकारी भी दूध के धुले नहीं हैं। अवैध निर्माण और अवैध कमाई दोनों ही इंसान को गुनाहगार बना देती है। इसलिए दिल्ली सर्च ने यह तय किया है कि वह अवैध निमार्गों के नाम पर भ्रष्टाचार करने वालों के खिलाफ जनता की लड़ाई को भी प्रकाशित करेगा ऐसे में यदि मकान बनाने के वैध दस्ताबेज होने के बावजूद यदि आपको कोई निगम अधिकारी आपको धमकाकर आपसे पैसा ऐठेना चाहे तो उसके बारे में आप हमें लिख भेजें ताकि हम संबधित महकमों में ऐसे अधिकारियों की करतूतें उजागर करके आपको न्याय दिला सकें। दूसरे यदि आपके इलाके में कही भी कोई अवैध निर्माण हो रहा है जिसमें आपको लगता है कि इसमें पुलिस व निगम अधिकारियों की साठ-गांठ हैतो भी आप हमें मकान बनाने वाले व्यक्ति, ठेकेदार व इस काम लिप्त लोगों के नाम तथा बन रहे मकान या इमारत की फोटो हमें भेज दे ताकि हम आपकी समस्यां शहरी विकास मंत्रालय व एन.जी.टी. के संज्ञान में ला सकें। उम्मीद है आप हमारी ‘भ्रष्टाचार हटाओ' की मुहिम का एक हिस्सा बनकर हमें अपना सहयोग देते रहेंगे। । राजकुमार सलूजा।