दिल्ली के पर्यावरण संकट पर गांधीवादी नजरिया पर संगोष्ठी


नई दिल्ली, संस्कृति मंत्रालय के अधीन कार्यरत गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति, राजघाट और गैर सरकारी संस्था उदित आशा वेलफेयर सोसाइटी ने दिल्ली के पर्यावरण संकट पर गांधीवादी नजरिया विषय पर दो दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया। शनिवार और रविवार को आयोजित यह संगोष्ठी गुरू गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय से संबद्ध वी डी इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी, कृष्णा विहार, रोहिणी के सभागार में संपन्न हुआ। कार्यक्रम में स्कूल और कालेज के छात्र छात्राओं ने भाग लिया।


संगोष्ठी में ग्रीन मेन के नाम से ख्यात विजय पाल बघेल, पर्यावरण विद एमसी सिंह, मोक्षदा संस्था की चित्रा केशरवानी, सुल्तानपुरी के पूर्व विधायक जयकिशन, वरिष्ठ अधिवक्ता, पर्यावरण विद और राष्ट्रवादी जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल भारती, दिल्ली पुलिस के रिटायर अधिकारी बालानाथ, शिक्षाविद दलबीर प्रसाद, गांधी शांति प्रतिष्ठान के गुलशन गुप्ता, आरडी पब्लिक स्कूल की प्राचार्या, संध्या भारद्वाज, वरिष्ठ पत्रकार नासिर खान, अमलेश राजू, संस्था के महासचिव सचिन मीणा, कोषाध्यक्ष मनोज सिंहा सहित अनेक लोगों ने भाग लिया।


इस मौके पर संस्था की ओर से प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र भी दिया गया। वक्ताओं ने कहा कि देश को बचाना है, पर्यावरण को बचाना है तो जल, जंगल और जमीन को बचाना जरूरी है। आधुनिक युग में जी रहे लोग पेड़ लगाने में कोई रुचि नहीं ले रहे और यही कारण है कि अह असमय काल के गाल में समाते जा रहे हैं। बघेल ने अपने अनुभव बताते हुए कहा कि किसी प्रकार वे देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी जाकर गांधीवादी नजरिए से पर्यावरण बचाने पर काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पेड़ हमारे प्राणवायु है और इसे बचाए रखने से ही दिल्ली और एनसीआर को प्रदूषण से मुक्ति दिलाई जा सकती है। वक्ताओं ने कहा कि राजधानी दिल्ली अब रहने लायक नहीं है यह बात सुप्रीम कोर्ट के एक न्यायाधीश ने इसलिए कहा चूंकि वे इससे पीड़ित होकर बाहर निकलना चाहते हैं। देश के कोने-कोने से दिल्ली में आकर रहने की जो इच्छा और आंकाक्षा लोगों में थी उसमें कमी होना शुरू हो गया है। सुबह और शाम के समय सैर करने वालों की कमी आ रही है और यही कारण है कि हमें कई प्रकार की बीमारियां असमय अपनी चपेट में ले रहे हैं।