भारत में रहना बांग्लादेश से अधिक आसान है: तसलीमा नसरीन


-विश्व पुस्तक मेले में तसलीमा नसरीन के उपन्यास बेशरम का हुआ विमोचन


नई दिल्ली, विश्व पुस्तक मेले में राजकमल प्रकाशन के स्टाल जलसाघर में जानी-मानी लेखिका तसलीमा नसरीन के उपन्यास बेशरम का शनिवार को विमोचन किया गया। इस अवसर पर तसलीमा नसरीन के अलावा लेखिका अल्पना मिश्र, हिमांशु बाजपेयी एवं राजकमल प्रकाशन के प्रबंध निदेशक अशोक महेश्वरी मौजूद रहे। इस अवसर पर तसलीमा नसरीन ने किताब के बारे में कहा कि मेरे पहले उपन्यास लज्जा की कहानी हिन्दुओं को बांग्लादेश से कैसे सांप्रदायिक दंगों के कारण देश छोड़ना पड़ा था, उस पर आधारित था। वहीं बेशरम, लज्जा उपन्यास के पात्र सुरंजन और माया जो बांग्लादेश छोड़ के हिन्दुस्तान आये उनके संघर्षो पर आधारित है। यह उपन्यास राजनीति से हट के समाजिक जीवन पर केन्द्रित है।


बांग्लादेश वापस जाने के प्रश्न पर तसलीमा ने कहा, मैं बांग्लादेश कभी वापस नहीं जा सकती क्योंकि मुझे देश छोड़ने को मजबूर किया गया था। जो कुछ भी बांग्लादेश में घटित होता है उस पर मैं हमेशा लिखती हूं, न केवल हिन्दुओं पर बल्कि अन्य बांग्लादेशी अल्पसंख्यकों के मुद्दों पर भी मैंने हमेशा आवाज उठाई है। उल्लेखनीय है कि बेशरम उपन्यास तसलीमा नसरीन के 1993 में आए लज्जा उपन्यास की उत्तरकथा है। यह उपन्यास राजकमल प्रकाशन द्वारा प्रकाशित किया गया है। इस उपन्यास का बांग्ला भाषा से हिंदी में अनुवाद उत्पल बैनर्जी द्वारा किया गया है। लज्जा उपन्यास के कारण ही बांग्लादेश में कट्टरपंथी समूहों द्वारा लेखिका पर फतवा जारी किया गया था तथा किताब पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया था। लेखिका आज भी निर्वासित जीवन व्यतीत कर रहीं हैं।