व्यंग्य आलेख // हनुमान की नई पहचान // डॉ. सुरेन्द्र वर्मा

हनुमान जी परेशान हैं। उनकी पहचान दिन-ब-दिन धुंधली पड़ती जा रही है। कभी उनकी पहचान राम-भक्त के रूप में हुआ करती थी। वे रामजी के लिए कुछ भी कर सकते थे। वे अपना सीना चीर कर उसमें प्रतिष्ठित राम को बड़े गर्व से दिखाते देखे जा सकते हैं। वे महाबली के रूप में प्रतिष्ठित हैं। वे अपने हाथ पर पूरा पर्वत उठाने में समर्थ हैं। और फिर भी वे सौम्य स्वभाव के प्रसन्न चित्त ‘भगवान्’ हैं।


लेकिन इन दिनों वे काफी नाराज़ हैं। उनके चेहरे पर गुस्सा है। क्रोध से भरी उनकी तस्वीर आज वायरल हो गई है। लोग इस तस्वीर को अपने वाहनों पर, स्कूटरों पर, कारों पर स्टीकर के रूप में लगाए घूम रहे हैं। आखिर हनुमान जी की इस परिवर्तित मन:स्थिति की वजह क्या है ?


कहते हैं कि हनुमान जी का नाम हनुमान इसलिए पड़ा था कि उनकी ठोढ़ी का आकार थोड़ा अलग था। हनुमान का संस्कृत में अर्थ होता है, बिगड़ी ठोढ़ी। हनुमान जी की ठोढ़ी सामान्य नहीं थी। लेकिन हनुमान जी इस वजह से नाराज़ नहीं हैं कि उनकी ठोढ़ी का मज़ाक उड़ाया जा रहा है। वे नाराज़ इसलिए हैं कि उनकी पहचान मिटाई जा रही है। कोई उन्हें दलित कहता ही तो कोई उन्हें मुसलमान करार देता है। तर्क अलग अलग हैं। उन्हें दलित और वंचित इसलिए कहा गया कि उन्हें लोक-देवता माना गया; और फिर वे वनवासी भी तो हैं। कुछ लोगों को यह बात हज़म नहीं हुई तो जवाब में उन्हें दलित की बजाय मुस्लिम ठहरा दिया गया। दलील दी गई कि हनुमान के वज़न पर ढेरों मुस्लिम नाम मिलते हैं। ऐसे एक सौ आठ नामों का दावा किया गया। लेकिन उदाहरण के लिए जो नाम गिनाए गए वे आठ की संख्या भी नहीं छू सके। रहमान, रमजान, फरमान जीशान, कुर्बान, आदि नामों की मिसालें दी गईं।


दलित समुदाय ने जब सुना कि हनुमान जी दलित हैं तो हनुमान जी के एक मंदिर पर उन्होंने कब्ज़ा कर लिया। वह तो हनुमान जी के सभी मंदिरों पर शायद उनका कब्ज़ा हो जाता। पर वक्त रहते इस वृत्ति के खिलाफ आवश्यक कार्यवाही हो गई। वाराणसी में हनुमान जी, यदि दलित हैं, तो उनके जाति प्रमाण-पत्र की मांग होने लगी; साथ ही यदि वे आजन्म ब्रह्मचारी हैं तो इसका भी प्रमाण माँगा जाने लगा।


अब आप ही बताइये, ऐसे में हमारे सौम्य और सहृदय हनुमान नाराज़ न हों तो क्या हो ? इलाहाबाद में लेटे हनुमान जी की मूर्ति है। हनुमान जी, जो हमेशा चुस्त, दुरुस्त और सक्रिय रहे, उनकी लेटी हुई मूर्ति देखना बड़ा अजीब लगता है। शायद हनुमान जी को खुद भी ऐसा ही लगता हो। पर अगर इलाहाबाद में लेटे हुए हनुमान हैं तो मुझे पूरा यकीन है प्रयागराज में हनुमान की क्रोधित मूर्ति भी हमें शीघ्र ही देखने को मिल सकेगी। हनुमान जी सचमुच गुस्से में हैं। उनकी वास्तविक पहचान को बट्टा लग रहा है।
भक्ति बड़ी चीज़ है। भक्त भगवान को जैसा देखना चाहते हैं भगवान वैसा ही रूप धारण कर लेते हैं। भगवान् जैसा कोई हो ही नहीं सकता। आज अगर हनुमान भक्त उन्हें क्रोधित देखना चाहते हैं तो भगवान को गुस्सा होना ही पडेगा। लोगों को आश्चर्य होता है कि आखिर भगवान आज के हालात देखकर अभी तक गुस्सा क्यों नहीं हुए ? उन्हें बहुत पहले ही गुस्सा हो जाना चाहिए था। हताश होकर भक्तों ने खुद ही हनुमान जी की ऐसी तस्वीरें और मूर्तियाँ बनाना शुरू कर दीं जिनमें वे क्रोधित दिखाई दे रहे हैं। लोगों को हनुमान जी की गुस्से की ये छवियाँ खूब पसंद आईं और वे देखते देखते वायरल हो गईं। अन्याय देखकर भी भगवान् मुंह लटकाए बैठे रहें, यह मंजूर नहीं है। सो हनुमान जी अपनी एक नई पहचान बनाने में जुट गए हैं। उन्होंने एक झटके से अपनी पुरानी सौम्य छवि को बदल कर मानो रौद्र रूप धारण कर लिया है। कहते हैं कि हनुमान जी के संस्कृत में १०८ नाम हैं जो उनके जीवन के भिन्न-भिन्न अध्यायों को प्रतिबिंबित करते हैं। पता नहीं उनका यह ‘ऐंग्री यंग मैन’ रूप उनमें सम्मिलित है या नहीं। अगर नहीं है तो यह निश्चित ही एक नया, अपूर्व अध्याय होगा।


--डा. सुरेन्द्र वर्मा