संस्कृत भाषा में निहित है हमारी संस्कृति: अजेश यादव

नई दिल्ली, भारत को विश्व में भारतीयों के आदर्श मूल्यों के कारण ही जाना जाता है। ये मूल्य हमारी संस्कृति में संस्कृत साहित्यों में निहित ज्ञान से ही आये हैं। संस्कृत में वर्णित ज्ञान विज्ञान से ही भारतीय संस्कृति, संस्कार एवं संस्कृत भाषा विश्व में सवसे प्राचीन एवं आज भी सवसे अहम भाषा हैं। संस्कृत आज हर वर्ग की जरूरत है। हर व्यक्ति को यदि संस्कृत की महानता के बारे में निरन्तर बताया जाय तो समाज में फैल रहे असामजिक वातावरण पर अंकुश आ सकता है। संस्कृत के कारण ही हमारी संस्कृति की पहचान है। संस्कृत के विना भारतीय संस्कृति की बात करना वेकार है। संस्कृत भाषा की विशेषता है कि हर शब्द का अर्थ है।


ये विचार दिल्ली संस्कृत अकादमी दिल्ली सरकार द्वारा बादली, दिल्ली में आयोजित व्यावहारिक संस्कृत अध्ययन केन्द्र का शुभारम्भ करते हुये मुख्य अतिथ के रूप में दिल्ली विधान सभा सदस्य अजेश यादव ने व्यक्त किये। यादव ने आगे कहा कि दिल्ली सरकार के माननीय मुख्यमंत्री एवं उप मुख्यमंत्री ने दिल्ली के नागरिकों को हर प्रकार की सुविधाये देने का कार्य किया है। जहां शिक्षा स्वास्थ्य विजली पानी को आम लोगो तक पहुचाई जा रही वही कला, संस्कृति एवं भाषा को भी आम लोगों तक पहुचाया जा रहा है। आज बादली गांव में संस्कृत सीखने वालों के लिये संस्कृत का केन्द्र खोल कर इस भाषा को जन सामान्य तक पहुचाने का प्रयास किया जा रहा है।


इस अवसर पर अकादमी के सचिव डॉ. जीतराम भट्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार दिल्ली की विविध संस्कृतियों से परिचित है सभी भाषाओं एवं संस्कृति के विकास के लिये प्रयासरत है। सरकार हर संस्कृति एवं भाषा के लोगों को उनकी संस्कृति की जड़ों से जोडना चाहती है। सरकार भाषा एवं संस्कृति को लोगों तक जोड़ने के लिये निरन्तर प्रयासरत है। संस्कृत साहित्य में निहित ज्ञान एवं सांस्कृतिक चिन्त ही विश्व के लिये भारतीय सबसे बढी देन है। अकादमी के इस केन्द्र के माध्यम से संस्कृत भाषा में दैनिक प्रयोग में आने वाले मंत्रों को प्रयोग जब हम करते हैं तो उसके बारे में आम लोगों को पता होता चाहिये कि जो मंत्र या पूजा हम कर रहक हैं उसका अर्थ क्या है।


इसी को लोगों तक पुहुचाने के लिये दिल्ली संरकार संस्कृत अकादमी के माध्यम से संस्कृत के ज्ञान के साथ साथ लोगों को आम प्रयोग में अने वाले मंत्रों के बारे में ज्ञान हो सके। इसके लिये दिल्ली के सभी विधान सभा क्षेत्रों में संस्कृत शिक्षण केन्द्रों का संचालन किया जायेगा। संस्कृत भारतीय संस्कृति के आधार है। आज जिस व्यावहारिक संस्कृत अध्ययन केन्द्र का शुभारम्भ हो रहा है इस केन्द्र में इस क्षेत्र के सभी संस्कृत सीखने वाले लोग आ कर संस्कृत का अध्ययन कर सकते हैं। अकादमी का प्रयास है कि इस प्रकार के केन्द्रों के माध्यम से संस्कृत को अधिक से अधिक लोगों के बीच पहुची जा सके। वर्तमान में संस्कृत को आम लोगों तक ले जाने के लिये अनेक स्तर पर प्रयास किये जा रहे है। अध्ययन केन्द्रों के माध्यम से आम लोगों को संस्कृत के प्रति प्रेरित करना एक श्रेष्ठ कार्य है। इस केन्द्र के माध्यम से सभी जिज्ञासुओं को संस्कृत के पढना लिखना एवं बोलना सिखाया जायेगा।


इस अवसर पर इस क्षेत्र के नगर निगम पार्षद बिजेन्द्र यादव ने कहा कि आज जीवन मूल्यों को यदि देखा जाय तो ये संस्कृत साहित्य में लिखे ग्रन्थ रामायण एवं महाभारत आदि अनेक ग्रन्थ लिखे गये हैं। इस व्यावहारिक संस्कृत अध्ययन केन्द्र के माध्यम से इस क्षेत्र के सभी शिविरार्थियों को संस्कृत बोलने के साथ साथ क्रियन्वित कार्य का अवसर मिलेगा। इस केन्द्र के माध्यम से हम दैनिक रूप से जो भी संस्कृत के मंत्रों का प्रयोग करते हैं उसके बारे में इस केन्द्र में समझाया जायेगा कि इस मंत्र का क्या अर्थ है। मुझे आशा है इस क्षेत्र के लोग इस के महत्व को समझते हुये केन्द्र से लाभान्वित होगे।


इस अवसर पर केन्द्र संचालन के लिये स्थान उपलव्ध कराने वाले राॅयल प्रव्लिक स्कूल के प्रबन्धक पुरुषोतम शर्मा ने कहा कि संस्कृत के प्रचार लिये हर व्यक्ति को अपनी अपनी जिम्मेदारियां लेनी होगी। हम सब मिल कर संस्कृत को आम लोगो तक पहुचाने का प्रयास करें संस्कृत का जितना अधिक प्रचार प्रसार होगा जीवन मूल्य उतने ही सुरक्षित रहेगे। हमें आशावादी के साथ निरन्तर प्रयास शील रहना चाहिये। मेरा पूरा प्रयास रहेगा कि हम इन दिनों में यहां पर शिक्षण ले रहे सभी प्रर्तिभागियों को संस्कृत बोला सिखाउगा। इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया जिसमें अनेक गणमान्य व्यक्ति एवं संस्कृत प्रेमी संस्कृत महानुभाव भी उपस्थित थे।