साहिबजादों का शहीदी दिवस दमदमा साहिब में बड़ी श्रद्धापूर्वक मनाया गया

दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की ओर से साहिब श्री गुरू गोबिन्द सिंह जी महाराज के बड़े साहिबजादों बाबा अजीत सिंह एवं बाबा जुझार सिंह जी का शहीदी दिवस दिनांक 8 पोस, नानकशाही सम्वत 549 के अनुसार तारीख 23 दिसम्बर 2018 को गुरूद्वारा दमदमा साहिब, नजदीक निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन, नई दिल्ली में अमृत वेले से शाम तक बड़ी श्रद्धापूर्वक मनाया गया। जिसमें पंथ के प्रसिद्ध रागी एवं ढाडी जत्थों ने गुरूबाणी के मनोहर कीर्तन गायन कर एवं ढाडी प्रसंगों द्वारा इतिहास से संगतों को अवगत कराया गया एवं प्रचारकों ने गुरमति विचार भी की।


इस अवसर पर दिल्ली कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष हरमीत सिंह कालका ने साहिबजादों की शहीदी का विस्तार पूर्वक जिक्र करते हुए कहा कि गुरू गोबिन्द सिंह जी ने भारत की संस्कृति एवं धर्म को बचाने की खातिर अपना सरबंस कुर्बान कर दिया। इस अवसर पर डा. जसपाल सिंह पूर्व वाईस चांसलर, पंजाबी विश्वविद्यालय पटियाला ने संगतों को संबोधन करते उस समय की नाजूक स्थिति, साहिबजादों को शहीद करने के बे-बुनियाद बनाये गये कारण, इस्लाम कबूल करना, जिन्हें मासूम साहिबजादों ने नकार दिया था, यह मुगल हकूमत के लिए बड़ी चोट थी। जिसका जिक्र दशमेश जी ने अपने द्वारा औरंगजेब को लिखे गये जफरनामें (फतेह का पत्र) में किया है।


इस अवसर पर कमेटी के वरिष्ठ सदस्य जत्थेदार अवतार सिह हित, परमजीत सिंह राणा ने संगतों को संबोधन करते हुए कहा कि गुरू गोबिन्द सिंह जी की दूनियां को बहुत बड़ी देन है जिन्होंने अपना पूरा परिवार ही सरबत के भले के लिए कुर्बान करवा लिया था। उन्होंने साहिबजादों की शहीदी का जिक्र करते हुए कहा कि आज हमें अपने बच्चों को इस इतिहास से अवगत करवाने की आवश्यकता है जिससे आने वाली पीढी को अपने लामिसाल कुर्बानियों से भरे इतिहास से जोड़ा जा सके। वरिष्ठ अकाली नेता जत्थेदार कुलदीप सिंह भोगल ने स्टेज सचिव की सेवाऐं निभाते हुए श्री आनन्दपुर साहिब के घेरे से लेकर चमकौर की गढ़ी तक साहिबजादों एवं गुरू साहिब के गिनती के सिखों की हुई शहादत के बारे में जानकारी दी एवं कहा कि केवल 40 भूखे सिखों के ऊपर 10 लाख मुगल फौज का घेरा जिसूमें साहिबजादों एवं सिखों ने बहादुरी के साथ मुकाबला करते हुए अनेकों मुगलों को मौत के घाट उतारते हुए शहीदी पाई। इतिहास में यह शहादत लामिसाल है। इस अवसर पर बड़ी संख्या में संगतों ने हाजरी भर कर अपना जीवन सफल किया।