हनुमान मुसलमानों के भी पूर्वज हैं: महामण्डलेश्वर नवल किशोर महाराज

इन्द्रप्रस्थ विश्व हिन्दू परिषद खुखरायण वल्र्ड ब्रदरहुड सनातन धर्म प्रतिनिधि सभा एवं अनेकों सामाजिक व धार्मिक सभाओं के तत्वाधान में स्वामी राघवानन्द महाराज के 83वें जन्मदिवस के शुभ अवसर पर उदासीन आश्रम पहाड़गंज में बड़ी धूमधाम से मनाया गया, जिसमें मुख्य रूप से स्वामी जगद्गुरु रामानन्दाचार्य, स्वामी हंस देवाचार्य महाराज, महामंडलेश्वर नवल किशोर महाराज, केन्द्रीय मंत्री जुगल किशोर, केन्द्रीय उपाध्यक्ष मा. ओम प्रकाश सिंहल, विश्व हिन्दू परिषद प्रांत मंत्री बचन सिंह, प्रांत मीडिया प्रमुख महेन्द्र रावत एवं सांसद मीनाक्षी लेखी की उपस्थिति रही।


इस पावन पर्व पर तीन दिवसीय कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें रक्तदान शिविर, स्वास्थ्य मेला एवं जरूरतमंद महिला एवं बच्चों को मासिक आर्थिक सहायता व पौष्टिक आहार उपलब्ध कराने जैसे अनेक कार्यक्रमों का शुभारंभ किया गया मुख्य वक्ता के रूप में स्वामी जगत गुरु रामानंदा हंसदेवाचार्य महाराज ने अपने उद्बोधन में कहा कि सही मायने में हम सभी को अपना जन्मदिवस इसी सेवा भाव से नर सेवा नारायण सेवा के रूप में बनाना चाहिए जिससे कि किसी भी जरूरतमंद की मदद की जा सके खासकर समाज को स्वामी राघवानंद महाराज ने अपने उद्बोधन में कहा महापुरुषों की कोई जाति नहीं होती है हरि को भजे सो हरि का होई जो भगवान का भजन करता है वह भगवान का होता है।


महामण्डलेश्वर महन्त नवल किशोर महाराज ने मीडिया को सम्बोधित करते हुए कहा जिस प्रकार परमात्मा सबके हैं उसी प्रकार भगवान सबके हैं हनुमान सबके हैं हनुमान मतलब वायुपुत्र और सांस तो सभी लेते हैं चाहे वह आर्य हो या अनार्य है इसीलिए महापुरुष व भगवान को संकीर्णता में नहीं बांधना चाहिए मैं तो कहता हूं हनुमान वनवासी भी थे वनवासियों में रहकर उन्होंने चेतना प्रदान की। राम की सेवा करके राज दरबार में भी रहे। हनुमान वास्तव में समन्वय का प्रतीक है उन्होंने सब को जोड़ा, गृहवासी, वनवासी जो समाज को जोड़ने का कार्य करते हैं चाहे कोई भी है इसलिए हनुमान सबके हैं हनुमान हमारे हैं यह कहना इससे छोटी बात नहीं हो सकती। हां हम हनुमान के हैं यह कहना चाहिए। मुसलमान कहें कि हनुमान हमारे हैं बल्कि उन्हें कहना चाहिए कि हम हनुमान के हैं। क्योंकि हनुमान उनके भी पूर्वज है हनुमान को किसी भी जाति-पंथ क्षेत्र में बांटना यह संकीर्णता छोड़नी चाहिए। परमात्मा व्यापक होता है और व्यापकता की बात करनी चाहिए। हनुमान सबके है और सबको मुक्ति एवं निरोगता प्रदान करने वाले है। इसलिए महापुरूषों और भगवान आराधना का केन्द्र हैं व्यवधान का नहीं। हनुमान किस जाति के है भगवान किस जाति के हैं कहना मूर्खता व अपरिवक्तता होगी। कार्य को सफल बनाने में विश्व हिन्दू परिषद के उपाध्यक्ष बृज मोहन सेठी, विहिप के स्वदेश चड्ढा, मा भारतीय सेवा न्यास के विनोद शर्मा, नरेन्द्र बर्थवाल एवं अनेकों कार्यकर्ताओं की सहभागिता रही।