सदियों से गौमाता मनुष्यों की सेवा से उनके जीवन को सुखी, समृद्ध, ऐश्वर्यवान, निरोग और सौभाग्यशाली बनाती चली आ रही है। गौ माता की सेवा से हजारों पुण्य प्राप्त होते हैं। इसकी सत्यता का उल्लेख अनेक ग्रंथों, वेद, पुराणों में किया गया है। प्रायः मनुष्य पुण्य प्राप्ति के लिए अनेक तीर्थ स्थलों में जाकर पूजा-पाठ, दर्शन, स्नान, हवन, तपस्या, दान करने का प्रयत्न करता है। जबकि जो पुण्य गौ सेवा करने में है, वह और कही नहीं।
एक समय था जब मनुष्य अपने घरों में गाय पालते थे, उनकी सच्चे मन से सेवा करते थे। पर समय के परिवर्तन के साथ-साथ गौ माता को घर के बाहर छोड़ कर अब घर के अंदर कुत्ते पालना शुरू कर दिया है। लोग अपने स्वार्थ के कारण शहर हो या गांव सड़कों पर सैकड़ों की संख्या में गाय को बेसहारा छोड़ दिया जाता है। मोटर-गाड़ी की चपेट में आने के कारण बड़ी संख्या में दुर्घटनाएं होती है, जिसमें उनकी मृत्यु हो जाती है। इनकी वजह से कई दुर्घटना में मनुष्यों की भी जान चली जाती है।
प्रायः देखने में आया है कि प्रदेश के विभिन्न गौ शालााओं में अपर्याप्त व्यवस्था, चारा, पानी की कमी, देखभाल के अभाव में सैकड़ों गायें गौधाम चली जाती है। इसकी जिम्मेदारी लेने वाला कोई नहीं। इन सभी गौशालाओं का क्रियान्वयन जिम्मेदारीपूर्वक, समुचित ढंग से किया जाना चाहिए।
जानकार मनुष्य गौ माता की सेवा कर सारे पुण्य प्राप्त कर लेता है। जो मनुष्य गौ माता की सेवा करता है, उस सेवा से संतुष्ट होकर गौ माता उसे अत्यंत दुर्लभ वर प्रदान करती है। गौ की सेवा मनुष्य विभिन्न प्रकार से कर सकता है जैसे प्रतिदिन गाय को चारा खिलाना, पानी पिलाना, गाय की पीठ सहलाना, रोगी गाय का ईलाज करवाना आदि। गाय की सेवा करने वाले मनुष्य को पुत्र, धन, विद्या, सुख आदि जिस-जिस वस्तु की इच्छा करता है, वे सब उसे यथासमय प्राप्त हो जाती है।
गाय के शरीर में सभी देवी-देवता, ऋषि मुनि, गंगा आदि सभी नदियां और तीर्थ निवास करते है, इसीलिए गौसेवा से सभी की सेवा का फल मिल जाता है। गाय का दूध मनुष्य के लिए अमृत है। गाय के दूध में रोग से लडने की क्षमता बढ़ती है। गाय के दूध का कोई विकल्प नहीं है। वैसे भी गाय के दूध का सेवन करना गौ माता की महान सेवा करना ही है, क्योकि इससे गो-पालन को बढ़ावा मिलता है और अप्रत्यक्ष रूप से गाय की रक्षा होती है।
गाय के दूध, दही, घी, गोबर रस, गो-मूत्र का एक निश्चित अनुपात में मिश्रण पंचगव्य कहलाता है। पंचगव्य का सेवन करने से मनुष्य के समस्त पाप उसी प्रकार भस्म हो जाते है, जैसे जलती आग से लकड़ी भस्म हो जाते है। मानव शरीर का ऐसा कोई रोग नहीं है, जिसका पंचगव्य से उपचार नहीं हो सकता। पंचगव्य से पापजनित रोग भी नष्ट हो जाते है।
गाय पालने वालों को अपने गौ माता को सड़कों पर खुला नहीं छोडना चाहिए। खुले छोडने के कारण गाय सड़कों पर दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं। पर्यावरण प्रदूषण रोकने के लिए मनुष्यों को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि वे प्लास्टिक झिल्लियों का उपयोग बंद कर दे। अधिकतर मनुष्य प्लास्टिक की झिल्लियों में खाने की सामग्री के साथ कांच, पिन, लोहे का टुकड़ा आदि खुले में फेंक देते हैं। गायों को पर्याप्त भोजन नहीं मिलने के कारण वह कूड़ा-करकट में जाकर कागज और पॉलीथीन खा लेती है, जिससे वह बीमार हो जाती है और उससे उनकी मृत्यु भी हो जाती है। मनुष्यों को अपने घर से कुछ आहार गाय के लिए रख देना चाहिए। कुछ स्थानों पर एक समूह बनाकर प्रत्येक घर से दो-दो रोटियां गायों के लिए एकत्रित की जाती है और उसे गायों को खिलाया जाता है, जो कि एक पुण्य का कार्य है। इसी प्रकार सभी मनुष्यों को गायों की रक्षा के लिए उचित प्रयास किया जाना चाहिए।
देश में बेजुबान गाय की निर्मम हत्या करने वाले पापी लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई किया जाना चाहिए। गौ रक्षा के लिए अधिक से अधिक लोगों को आगे आना चाहिए और गौ माता का संरक्षण और संवर्धन करने का प्रयास करना चाहिए।
-तेजबहादुर सिंह भुवाल-