नई दिल्ली, 27 दिसंबर वर्तमान समय में तेज गति से बढ़ती हुई वायु-प्रदुषण, दैनिक क्रियाकलापों को निपटाने के लिए कम्प्युटर का प्रयोग तथा टीवी को देखने से आंखों में जलन, इरीटेशन तथा आंसुओं के आने की शिकायत काफी आम हो गयी हैं. यह जीवन की रोशनी को खत्म करने में इसकी प्रमुख कारण रोजमर्रा की जिंदगी में वायु प्रदुषण, कम्प्युटर तथा टीवी का शामिल होना आदि हैं. आंखों में इससे उत्पन्न हो रही बीमारियां जीवन की रोशनी के लिए काफी खतरनाक बनती जा रही हैं. भले ही आपकी कितनी ही बड़ी दिली तमन्ना क्यों न हो बिना चश्मे या कांटेक्ट लेंस रहने की, लेकिन जब लेजर से दृष्टि सुधारक प्रक्रिया कराने की बात आती है तो इसके लिए मन बना पाना भी बहुत बड़ा काम होता है. हमारी आंखे बेहद महत्वपूर्ण हैं.
सेंटर फार साइट के निदेशक डॉ. महिपाल एस. सचदेव का कहना है कि जिनके बिना व्यक्ति प्राकृतिक सुंदरता को ना तो देख पाने में सक्षम हो पाता है और सामान्य जिंदगी जी पाता है. इसलिए बहुत जरूरी भी है और आप भी यही चाहते हैं कि आप जो भी प्रक्रिया आंखों पर कराएं वह बेहद सफल, सुरक्षित व आरामदायक हो. फेमटोसेकण्ड लेजर ने लेजर दृष्टि सुधारक की क्षमता, सुरक्षा व प्रभाव को परिवर्धित किया है. आरईएलएक्स स्माइल तकनीक में शत-प्रतिशत शल्य रहित तरीके से लेजर दृष्टि सुधार प्रक्रिया की जा सकती है. इसमें नो कोर्नियल फ्लैप के साथ-साथ आप को दर्द रहित उपचार मिलता है. आरईएलएक्स स्माइल तकनीक के दौरान कोर्नियल स्ट्रोमा के अंदर एक लेंटीक्यूल का निर्माण किया जाता है. उसके बाद साइड में छोटा सा चीरा लगाते हुए कोर्निया में से लेंटीक्यूल को निकाला जाता है. इससे कोर्निया को नया आकार मिलता है जो कि मरीज की आवश्यकतानुसार बनाया जाता है.
आरईएलएक्स स्माइल प्रक्रिया दृष्टि सुधार के लिए न सिर्फ शत प्रतिशत ब्लेड मुक्त तकनीक है बल्कि फेमटोलासिक का बेहतर रूप है. फेमटोलासिक में कोर्नियल फ्लैप को बनाने के लिए एक लेजर की सहायता ली जाती है. उसके बाद लासिक की प्रक्रिया को करने के लिए चिकित्सक कोर्नियल फ्लैप को पुन मोड़ता है. जबकि फेमटोलासिक या नो ब्लेड लासिक पुरानी तकनीक माइक्रोकेराटोम ब्लेड लासिक से कहीं बेहतर है. किंतु इस बेहतर तकनीक में भी कोर्नियल फ्लैप का निर्माण करना पड़ता है.
डा.महिपाल एस. सचदेव के अनुसार आरईएलएक्स स्माइल प्रक्रिया में चिकित्सक को दृष्टि सुधार के लिए किसी भी प्रकार के फ्लैप के निर्माण की आवश्यकता नहीं होती है. इसमें प्रक्रिया के तुरंत बाद या कई वर्षों के बाद भी फ्लैप के डिस्प्लेस होने का कोई खतरा नहीं होता. साथ ही इस प्रक्रिया के दौरान कोर्नियल सतह के सेलों में कोई दिक्कत नहीं होती है जिसका मतलब है कि मरीज को कोई दर्द या तकलीफ या किसी प्रकार की असहजता नहीं होती है. प्रक्रिया के तुरंत बाद ही आप अपनी सामान्य दिनचर्या अपना सकते हैं. प्रक्रिया के बाद आप को थोड़ी देर के लिए आंखों में कुछ असहजता अवश्य हो सकती है लेकिन वह फिर कुछ समय बाद सामान्य हो जाता है.
अगर आप आंखों के लिए ऐसा कोई उपचार ढ़ूंढ़ रहे हैं जो कि शल्यरहित, सुरक्षित व आसान हो, तो यह प्रक्रिया आप के लिए ही है. इस आरईएलएक्स स्माइल प्रक्रिया में गजब के दृष्टि परिणाम देखने को मिलते हैं. अधिक से अधिक मरीजों को 20/20 की दृष्टि प्राप्त हो सकती है. मरीजों ने इस तकनीक से उपचार कराने के बाद बेहतर दृष्टि प्राप्त की है. विशेषकर कम रोशनी जैसे रात या हल्की रोशनी में देख पाना भी अब उनके लिए आसान होता है. इस उपचार से आंखों में न के बराबर शल्य प्रक्रिया की जाती है और ड्राई आई होने का खतरा भी बेहद कम ही होता है.
आरईएलएक्स स्माइल प्रक्रिया में एक्जाइमर लेजर का इस्तेमाल नहीं होता केवल फेमटोसेकंड लेजर का इस्तेमाल किया जाता है. इस प्रक्रिया में एक्जाइमर लेजर की अपेक्षा आंखों में दस गुणा कम प्रकाश डाला जाता है, तो सूजन या इंफ्लेमेशन कम होता है. इससे स्थिर परिणाम आता है. हालंाकि एक्जाइमर लेजर वातावरण की शुष्कता व अन्य परिस्थितियों पर निर्भर करता है, जबकि फेमटोसेकंड लेजर सुदृढ़ होता है. उपचार आसान व सहज होता है. आरईएलएक्स स्माइल प्रक्रिया के बाद यह सुनिश्चित किया जाता है कि मरीज को सुविधाजनक व आरामदायक बेहतर दृष्टि प्राप्त हो पाई है या नहीं.