राजधानी की सातों लोकसभा सीटों को लेकर राजनैतिक दलों का अपना आंकलन


लोकसभा चुनाव के संभावित नतीजों को लेकर खुश नजर आ रहे हैं कांग्रेसी वे मान रहे हैं कि इस चुनाव में पार्टी का खाता खुलने जा रहा है। कांग्रेसी नेता मान रहे हैं कि इस चुनाव
में पार्टी अगर दूसरे नंबर पर आई तो उसके लिए बड़ी उपलब्धि होगी। इस आधार पर विधानसभा चुनाव में उनको जबर्दस्त लाभ मिलने की संभावना है। पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 15 प्रतिशत वोट मिले थे। निगम चुनाव में उसका प्रतिशत 21 हो गया था। कांग्रेस नेता आलाकमान के इस निर्णय से भी संतुष्ट हैं कि लोकसभा चुनाव में पार्टी ने आम आदमी पार्टी से गठबंधन नहीं किया।


कांग्रेसी दावा कर रहे हैं दिल्ली में सालों से चल रहा 'सूखा' इस बार खत्म होने जा रहा है। उनका कहना है कि इस बार पार्टी का खाता जरूर खुलेगा। पार्टी को कितनी सीट मिलेगी, उसको लेकर अलग-अलग कयास हैं, लेकिन सभी आश्वस्त हैं कि पार्टी इस चुनाव में दमदार प्रदर्शन करने जा रही है। असल में कांग्रेस नेता मान रहे हैं कि पार्टी का इस चुनाव में वोट प्रतिशत बढ़ने जा रहा है, जो आगामी चुनाव में उसके लिए लाभकारी होगा। पिछले लोकसभा चुनाव में पार्टी को मात्र 15 प्रतिशत वोट मिले थे, जबकि पिछले विधानसभा चुनाव में तो वोट प्रतिशत और गिरकर 9 प्रतिशत पर आ गया। वैसे साल 2017 में हुए निगम चुनाव में पार्टी का वोट प्रतिशत बढ़ गया था और वह 21 प्रतिशत पर आ गया था।


पार्टी नेता दावा कर रहे हैं कि इस चुनाव में उसका कॉडर वोट वापस लौट आया है, इसलिए इस चुनाव में पार्टी का वोट प्रतिशत 30 तक जा सकता है। लेकिन नेता मान रहे हैं कि उनका असली टारगेट तो अगले साल होने वाला विधानसभा चुनाव है। पार्टी के वरिष्ठ नेता चतर सिंह का कहना है कि अब तो आप नेता भी मान रहे हैं कि इस चुनाव में उनका हाल बहुत अच्छा नहीं रहेगा और हम मान रहे हैं कि इस बार चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस में पहले और दूसरे नंबर की लड़ाई है। अगर पार्टी दूसरे नंबर पर भी आ जाती है तो एक बात तो हम मान लेंगे कि हमारा पुराना वोटर वापस आ गया गया है, दूसरे विधानसभा चुनाव में भी समीकरण बदल जाएंगे। विधानसभा चुनाव में भी हमारी लड़ाई बीजेपी से होगी, क्योंकि जनता जान चुकी है कि दिल्ली में विकास सिर्फ कांग्रेस ही कर सकती है।


पार्टी के प्रवक्ता जितेंद्र कोचर का कहना है कि इस चुनाव में हमारा प्रदर्शन खासा संतोषजनक होने जा रहा है। जब इस चुनाव में कार्यकर्ताओं ने गजब का उत्साह दिखाया है तो विधानसभा में वह और बढ़ जाएगा। उनका कहना है कि यह सब इसलिए हुआ कि पार्टी ने इस चुनाव में आम आदमी पार्टी से गठबंधन नहीं किया। इसके लिए दिल्ली के नेता व कार्यकर्ता हाईकमान के शुक्रगुजार हैं। अगर गठबंधन हो जाता तो इस चुनाव में हमसे ज्यादा लाभ आप को मिलता


वही कांग्रेसी नेता अपनी आपसी बातचीत में साउथ दिल्ली लोकसभा सीट और नॉर्थ-वेस्ट रिजर्व सीट पर संकट के घने बादल देख रहे है पार्टी नेताओं के अनुसार बाकी पांच सीटों नई दिल्ली, नॉर्थ-ईस्ट, ईस्ट, वेस्ट, व चांदनी चौक पर उनकी बीजेपी प्रत्याशियों से कड़ी टक्कर है। इन पांचों सीटों पर पार्टी या तो नंबर एक रहेगी या नंबर दो संभालेगी। पार्टी नेता इस बात से खुश हैं कि लोकसभा के ये परिणाम अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में उनके लिए लाभकारी होंगे। कांग्रेसी नेता भी अपनी टक्कर आप से नहीं मान रहे हैं।


'आप' भी कैंडिडेट्स, विधायकों और कार्यकर्ताओं से फीडबैक ले रही है।


पार्टी नेता यह तो मान रहे हैं कि कांग्रेस ने 'आप' का वोट काटा है, लेकिन उनका कहना है कि इससे ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा। पार्टी दिल्ली में तीन से चार सीटों को लेकर आश्वस्त दिखाई दे रही है। अभी पार्टी के ज्यादातर सीनियर लीडर्स पंजाब में लोकसभा चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं और पंजाब में चुनाव प्रचार खत्म होने के बाद पार्टी में दिल्ली में हुई वोटिंग को लेकर गहराई से विश्लेषण किया जाएगा।


पार्टी सूत्रों का कहना है कि अब तक जो आकलन किया गया है, उसमें पार्टी को साउथ दिल्ली, ईस्ट दिल्ली, नॉर्थ-वेस्ट दिल्ली में तो काफी अच्छी संभावनाएं नजर आ रही हैं। साथ ही पार्टी का कहना है कि वेस्ट दिल्ली में भी पार्टी को उम्मीद के मुताबिक वोट मिलता दिख रहा है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली, चांदनी चौक और नई दिल्ली में 'आप' कड़ी टक्कर दे रही है। हालांकि, अभी पार्टी को यह आकलन करना है कि अलग-अलग विधानसभाओं में मुस्लिम वोटरों का रुख कैसा रहा है। शुरुआती तौर पर तो यह नजर आ रहा है कि मुस्लिम वोटरों ने 'आप' के साथ-साथ कांग्रेस को भी समर्थन दिया है। बल्लीमारान, मटिया महल जैसे मुस्लिम बहुल इलाकों में कांग्रेस के उम्मीदवार को भी मुस्लिम वोटरों का समर्थन मिलता साफ नजर आ रहा था। दिल्ली में कई सीटों पर कड़े त्रिकोणीय मुकाबले के हालात नजर आ रहे हैं और वहां पर मुस्लिम वोटर बहुत बड़ी भूमिका में हैं। चुनाव नतीजे आने के बाद ही साफ होगा कि मुस्लिम वोटरों ने इस बार किस पार्टी को ज्यादा समर्थन दिया है।


पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने सातों सीटों पर जीत हासिल की थी। लेकिन इस बार वोटिंग चार प्रतिशत घट गई है।इसके अलावा मुस्लिम वोटों को लेकर जबर्दस्त कयासों का दौर है
सूत्र बताते हैं कि इस मसले को लेकर प्रत्याशियों और पार्टी नेताओं में लगातार बातचीत हो रही है
प्रदेश कार्यालय में बैठक का आयोजन किया गया था, लेकिन प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी के दिल्ली के बाहर रहने से बैठक नहीं हो पाई, लेकिन चर्चा में सभी बीजेपी नेता मान रहे हैं कि अगर इस बार भी पिछले चुनाव की तरह मोदी मैजिक चला तो इस बार भी दिल्ली की सातों सीटें बीजेपी जीत सकती है, लेकिन अगर ऐसा नहीं हुआ तो दो-एक सीट पर संकट के बादल मंडरा सकते हैं।
बीजेपी नेताओं की चर्चा में जो लब्बो-लुआब निकलकर आ रहा है, उसके अनुसार नॉर्थ-ईस्ट सीट पर पार्टी के लिए भारी संकट है। इस सीट पर करीब 22 प्रतिशत मुस्लिम वोटर हैं। बीजेपी नेता मान रहे हैं कि ये वोटर इस बार कांग्रेस की ओर मुड़ गए हैं, इसलिए इस सीट पर हार संभावित है। इस सीट पर बीजेपी से मनोज तिवारी, कांग्रेस से शीला दीक्षित व आप से दिलीप पांडे किस्मत आजमा रहे हैं। बीजेपी नेता यह भी कयास लगा रहे हैं कि दिल्ली की नॉर्थ-वेस्ट (रिजर्व) व नई दिल्ली सीट पर भी कड़ी टक्कर मिल सकती है। इन सीटों पर हार-जीत का मार्जन बहुत अधिक नहीं होने वाला है। बीजेपी के अधिकतर नेता दावा कर रहे हैं कि सातों सीटों पर उनकी टक्कर कांग्रेस से ही है, आप प्रत्याशी उनके लिए परेशानी का कारण नहीं बनने वाले।