कैट ने की सरकार से ई-कॉमर्स कंपनियों के व्यापार की जांच की मांग

नई दिल्ली, सरकार द्वारा हाल ही में ई-कॉमर्स में एफडीआई पालिसी पर जारी स्पष्टीकरण के खिलाफ विदेशी तथा बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा विरोध एवं मोर्चा खोलने तथा पालिसी में बदलाव लाने के लिए पुरजोर लॉबिंग करते हुए सरकार पर दबाव बनाने की कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने कड़ी आलोचना करते हुए उन्हें अनैतिक लॉबिंग के लिए जमकर लताड़ा और चेतावनी दी की यदि पालिसी में कोई बदलाव हुआ तो देश भर के व्यापारी उसका जबरदस्त विरोध करेंगे और पूरे देश में इसके खिलाफ एक राष्ट्रव्यापी अभियान चलाया जाएगा। कैट ने यह भी कहा कि इन कंपनियों द्वारा वर्षों से उपभोक्ताओं को लूटने वाली साजिशों को अभियान में बेनकाब किया जाएगा। देश भर के व्यापारी किसी भी सूरत में ई-कॉमर्स एवं अन्य माध्यमों से देश के रिटेल व्यापार पर इन कंपनियों का कब्जा नहीं होने देंगे।


नई दिल्ली में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.सी.भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने सरकार से मांग की है की विदेशी एवं बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा पिछले वर्षों में किये गए व्यापार की जांच की जाए और जिसने भी पालिसी का उल्लंघन किया है उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। उन्होंने यह भी मांग की की देश में एक मजबूत ई-कॉमर्स पालिसी तुरंत घोषित की जाए वहीँ दूसरी ओर पालिसी को सख्ती से लागू करने के लिए एक रेगुलेटरी अथॉरिटी का भी गठन किया जाए जिसको पालिसी के उल्लंघन करने पर दंड, पेनल्टी एवं अन्य कार्रवाई करने का भी पूरा अधिकार हो। उन्होंने यह भी मांग की है की पालिसी के नियम घरेलू ई-कॉमर्स कंपनियों पर भी समान रूप से लागू किये जाएँ जिससे ई-कॉमर्स बाजार में एकरूपता बनी रहे, स्वस्थ प्रतिस्पर्धा का वातावरण हो और किसी भी तरह का अनैतिक व्यापार न हो सके।


श्री भरतिया एवं खंडेलवाल ने आरोप लगाते हुए कहा कि इन कंपनियों के व्यापारिक व्यवहार से फेमा सहित अनेक कानूनों का उल्लंघन हुआ है जो की बेहद गंभीर विषय है और इस दृष्टि से इन कम्पनियॉं के कार्यकलापन की जांच किया जाना बेहद जरूरी है। उन्होंने यह भी कहा कि ई-कॉमर्स में अधिक पारदर्शिता और निष्पक्षता लाने के लिए सरकार को इन कंपनियों के लिए एक कानून पालन सर्टिफिकेट लेना बाध्य करना चाहिए और वर्तमान वर्ष के लिए यह तारीख 31 मार्च 2019 निश्चित की जाए। यह भी प्रावधान किया जाए की जब तक सर्टिफिकेट प्राप्त नहीं कर लिया जाए तब तक वो अपना ई-कॉमर्स पोर्टल बंद रखे और उस पर कोई व्यापार न करें साथ ही जब तक सर्टिफिकेट न मिल जाए तब तक ऐसी कम्पनी कोई फण्ड भी न जुटा सके।



श्री भरतिया एवं खंडेलवाल कहा कि अनेक ई-कॉमर्स कंपनियां और उनके अमरीका स्तिथ चैम्बर एवं संगठन तथा देश के कुछ औद्योगिक संगठन तथा विदेशी फाईनेंसर एक नापाक गठजोड़ बनाकर पालिसी को अपने पक्ष में परिवर्तित कराने हेतु सरकार पर दबाव बना रहे है और यहाँ तक की अपना व्यापार समेट लेने की धमकी भी दे रहे हैं। भरतिया एवं खंडेलवाल ने कहा कि उनकी धमकी भरी दबाव नीति का हम कड़ा विरोध करते हैं और इन कंपनियों को यह समजह लेना चाहिए की भारत का ई-कॉमर्स व्यापार स्वयं पर निर्भर है न की उनकी दया पर।यदि उन्हें भारत से अपना व्यापार समेटना है तो वो जल्दी से समेट ले। भारतीय व्यापारी देश के ई-कॉमर्स बाजार को बेहतर तरीके से संभल लेंगे।


दोनों व्यापारी नेताओं ने कहा कि वर्ष 2016 के प्रेस नोट 3 का उल्लंघन करते हुए ई-कॉमर्स कंपनियों ने विभिन्न स्तरों पर अपनी ही कंपनियों के माध्यम से सीधे उपभोक्ताओं को माल बेच कर एक तरह से जालसाजी की है। अनेक शिकायतों के बावजूद सरकार ने इसको अनदेखा किया जिससे इन कंपनियों ने होंसले और बुलंद हो गए और उन्होंने और अधिक खुलकर लागत से भी कम मूल्य पर माल बेचना, बड़े डिस्काउंट देना, अनेक तरह की सेल लगाकर बड़े पैमाने पर सरकार की नीति और मंशा की धज्जियाँ उड़ाई हैं।


देश में ऑनलाइन व्यापार प्रतिवर्ष 31 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है जिसके वर्ष 2019 में 40 बिलियन डॉलर हो जाने की सम्भावना है। ई-कॉमर्स व्यापार जो वर्ष 2017 में 39 बिलियन डॉलर था उसके वर्ष 2020 में 120 बिलियन डॉलर होने के सम्भावना है जो 51 प्रतिशत की वृद्धि दर है और पूरी दुनिया में सबसे अधिक है। इस दृष्टि से देश में एक स्वस्थ, पारदर्शी और निष्पक्ष ई-कॉमर्स व्यापार का होना बहुत ही जरूरी है। दोनों व्यापारी नेताओं ने सरकार से आग्रह किया की वो किसी भी प्रकार के दबाव में न आये और पालिसी को सख्ती के साथ लागू करे जिससे कोई भी पालिसी का उल्लंघन करने की हिमाकत न कर सके और ई-कॉमर्स व्यापार को अपनी बपौती न समझे।